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खूंटी :- आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खूंटी (Khunti) में महिला सम्मेलन में खुद सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित किया है। कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कहा कि मैं ओडिशा से जरूर हूं, लेकिन मेरी रगों में झारखंड का खून है। राष्ट्रपति ने कहा, आदिवासी महिलाओं के जीवन में सुधार, उनकी तरक्की देखकर मुझे बेहद खुशी होती है। झारखंड राज्य को अलग हुए 22 साल हो गए। अधिकांश सीएम आदिवासी हुए। 28 से अधिक एमएलए आदिवासी हैं। फिर भी झारखंड को जितनी तरक्की करनी चाहिए थी, उतना नहीं हो सका। इसके बारे सोचने की जरूरत है।
लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, सरकार 100 कदम चल रही है तो आपको भी 10 कदम बढ़ाना होगा। सरकार ही सब कुछ कर दे, ऐसा नहीं होता है। उन्होंने अपनी कहानी बताने के दौरान कहा कि बचपन में हम वनोपज जमा करते थे। तब उसकी कीमत पता नहीं चलती थी। आज वही वनोपज को बाजार मिल रहा है। यह देख कर अच्छा लगता है। बिरसा मुंडा की धरती को नमन करते हुए कहा कि इतने कम उम्र में उनका देश को अमूल्य योगदान है। हमें उन्होंने कई चीजें दे रखी हैं, जिसका अनुसरण करना है।
वहीं, कार्यक्रम में सीएम हेमंत ने राष्ट्रपति के सामने पलायन पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा आदिवासियों की स्थिति में अभी भी सुधार नहीं हो रहा है। राज्य से पलायन के आंकड़ों को देख चिंतित हो जाता हूं। राज्य अलग होने के बीस साल बाद भी आज भी कोई ऐसा सार्थक प्रयास हमारे यहां के आदिवासियों के बीच नहीं हो पाया। सभी काम सिर्फ कागजों पर हो रहे हैं। यहां कोई संगठन सक्रिय रूप से काम नहीं कर रहा है। हम कहीं मुख्य अतिथि बन कर जाएं, तो अधिकारी स्टॉल लगा कर बस दिखा देते है लेकिन वस्तुस्थिति कुछ और होती है। अधिकारी झांकी दिखाते हैं लेकिन हम इस झांकी के पीछै देखने की कोशिश करते हैं।
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