वार्ता स्पेशल: (रिपोर्ट सतीश सिन्हा की) पिछले 20 दिन से करवटें बदल रहे विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेता आज की रातनिश्चित ही सो नहीं पाएंगे क्योंकि गद्दी का ख्वाब संजोए नेता जोड़-तोड़ और जनता के जनादेश की राजनीति पर विश्वास करने को मजबूर है और तमाम एग्जिट पोलो के मुताबिक महागठबंधन की सरकार झारखंड में बनती एक बार दिख रही है लेकिन दूसरी ओर राजनीतिक गलियारे से लेकर आम जनमानस में यह चर्चा आम है कि इस बार पूर्ण बहुमत का जनादेश किसी को नहीं प्राप्त होने वाला है ऐसी स्थिति में जनता अपना मतदान करके चैन से है और प्रत्याशी पार्टी नेता कार्यकर्ता बेचैन से हैं। ऐसे में गद्दी का ख्वाब संजोए नेताओं की नींद पिछले 20 दिनों से ये तो वही बता सकते हैं…. लेकिन अनुमान आप तो समझ ही गए होंगे समझदार के लिए ई ….सारा काफी है।
वहीं दूसरी ओर राजनीतिक गलियारे से लेकर आम जनमानस में यह भी चर्चा है कि पहले चरण में दूसरे चरण में भाजपा की कुछ स्थिति खराब नजर आई लेकिन इसके बाद के चरणों में मतदान का प्रतिशत बढ़ने से भारतीय जनता पार्टी भी बहुमत की आस लगाए बैठी है यह तो कल मत पेटियों के खुलने के बाद ही पता चलेगा की जनता किस को नववर्ष की शुभकामनाएं दे रही है और नववर्ष किसको किसको भारी पड़ रही है चाहे वह रघुवर हो या सुदेश हेमंत शिबू और बाबू कौन नव वर्ष धूमधाम से मनाएगा और झारखंड का ताज उसके सर पर रखा जाएगा। यह देखने के लिए जनता भी बेचैन है हम भी बेचैन है आप भी बेचैन हैं।
महाराष्ट्र की तरह झारखंड में भी बनेगी सरकार!
चाहे जिस पार्टी की भी हो महाराष्ट्र की तर्ज पर ही झारखंड में भी सरकार बनने की संभावनाएं बलवती हो गई है क्योंकि जिस प्रकार चुनाव के पहले विभिन्न पार्टियों में भगदड़ मची थी वह चुनाव के बाद मतगणना के बाद भी मचना स्वाभाविक है ऐसी स्थिति में जोड़-तोड़ की राजनीति चरम पर रहने की संभावना है।
भाजपा खेल सकती है आदिवासी कार्ड
वहीं विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी आलाकमान भी इसके लिए झारखंड के एक आदिवासी नेता के संपर्क में है और उन्हें तैयार रहने के लिए भी कहा है वहीं दूसरी ओर तमाम में गिफ्ट पोलो में महागठबंधन को ज्यादा सीटें मिलते देख पूर्व मुख्यमंत्री झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन का भी विश्वास और हिम्मत सातवें आसमान पर है आज उन्होंने मीडिया में स्टेटमेंट भी दे दिया है कि ‘मोदी जी भगवान थोड़े जो है जो हार नहीं सकते!’
सूत्रों का कहना है कि हेमंत सोरेन भी सरकार बनाने के लिए पूरी तरह जुट चुके हैं और अंदरूनी तौर पर किसको क्या बनाया जाएगा इसकी रणनीति तय हो चुकी है वरना वह भी जानते हैं कि देर करना यानी सत्ता हाथ से जाना।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार तमाम पार्टियां अपने भावी विधायकों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। कहीं ऐसा ना हो कि महाराष्ट्र की तरह यहां भी विधायकों को पहरा लगाना पड़े क्योंकि इतिहास हर बार दोहराती है।
गौरतलब है कि पहले भी झारखंड में फिल्मी स्टाइल की तरह विधायकों को यहां से हवाई जहाज में उड़ाते हुए उड़ीसा फिर वहां से ना जाने कहां कहां उड़ा कर सरकार बनाने के लिए ले जाया गया था उस समय के नायक थे मंझे हुए राजनीतिज्ञ जो फिलहाल केंद्रीय मंत्रिमंडल में है बाकी आप समझ गए होंगे। ऊपर से उस समय भाजपा के आलाकमान में लालकृष्ण आडवाणी वेंकैया नायडू जैसे महारथी उनके साथ थे।
चर्चा है कि अब कल ही मत पेटियां खुलने के बाद और मतगणना के बाद झारखंड की अगली सरकार किसकी बनेगी यह तय होगी यह अहम नहीं है अहम यह है कि विधायक किसको अपना सर्वमान्य नेता मानते हैं और झारखंड का ताज उनके सर पर पहनाते हैं यह देखना इस बार ऐतिहासिक होगा क्योंकि इस बार चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार झारखंड का दौरा कर चुके हैं और भाजपा के कई स्टार प्रचारक भी राज्य का चुनावी दौरा और प्रचार कर चुके हैं जबकि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिना स्टार प्रचारक के अपने बूते पर सरकार बनाने का दावा ठोक रहे हैं और एग्जिट पोल भी उनके पक्ष में आ गया है जिससे कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि हेमंत सोरेन ही सर्वमान्य नेता होंगे।
बहरहाल राजनीति में सब कुछ जायज है शिवसेना जैसी कट्टर हिंदूवादी पार्टी आज कांग्रेस एनसीपी जैसी कट्टर विरोधियों के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाकर चल रही है वैसे ही झारखंड में भी कुछ भी संभव है!
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