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Tuesday, March 28, 2023

किसने कहा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भोले बाबा के खिलाफ हो गए हैं सरकार गिरेगी… जानें…

रांची :“प्रदेश के मुख्यमंत्री भोले बाबा के खिलाफ गये हैं उन्होंने बड़े-बड़ों को गिरते-मरते देखा है, यह सरकार भी गिर जायेगी, तो कोई आश्चर्य का विषय नहीं होगा”। उक्त बातें गोड्डा के भारतीय जनता पार्टी सांसद निशिकांत दुबे ने दुमका में कही।उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि झारखंड हाइकोर्ट में मामला विचाराधीन है।इसके बावजूद पर कोर्ट के फैसले से पूर्व बाबाधाम में श्रावणी मेला पर अपना फैसला देकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोर्ट की अवमानना की है।हमारे वकील कोर्ट में शुक्रवार 3 जुलाई को यह मुद्दा उठायेंगे।

बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची में पंडा धर्मरक्षिणी सभा में देवघर के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान कही थी कि कोरोना संकट के मद्देनजर इस साल देवघर में श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होगा।कोरोना को लेकर सरकार के सामने बड़ी चुनौतियां हैं लेकिन बाबा भोलेनाथ की कृपा और राज्यवासियों के मिल रहे सहयोग से हम इस महामारी को नियंत्रित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों में मंदिर खोलना जन स्वास्थ्य के लिहाज से उचित नहीं है।ऐसे में बाबा भोलेनाथ से इसके लिए क्षमा मांगता हूं। राज्य सरकार ने श्रावणी मेला को स्थगित करने का फैसला किया है।

इधर दूसरी ओर दिल्ली से लौटते हुए गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने दुमका एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बैद्यनाथ मंदिर पर मुख्यमंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मामला अदालत की अवमानना का भी है।उन्होंने अच्छे-अच्छे को गिरते-मरते देखा है। कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि हेमंत सोरेन की सरकार गिर जाये। हेमंत सोरेन सत्ता से बेदखल हो जायें।

उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान माननीय हाइकोर्ट के समक्ष उनके वकील मुख्यमंत्री के इस वक्तव्य का प्ली लेंगे कि अदालत के फैसले के पहले उन्होंने निर्णय कैसे ले लिया। निशिकांत दुबे ने कहा कि जब काशी विश्वनाथ, तिरुपति, उज्जैन और कोलकाता का कालीघाट मंदिर खुल गया, तो देवघर का मंदिर क्यों नहीं खुलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मंदिर का खुलना अलग बात है और श्रावणी मेले का आयोजन अलग। हेमंत सोरेन ने कैसे झारखंड में मंदिरों को बंद रखा है। उत्तराखंड में सरकार ने चार धाम की यात्रा की अनुमति सरकार ने दे दी है। उसका एसओपी बनाया है कि केवल उत्तराखंड राज्य के ही श्रद्धालु इसमें भाग ले सकेंगे। बिहार में भी सारे मंदिर खुल गये हैं, तो झारखंड में यह तुगलकी फरमान क्यों?

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