वार्ता स्पेशल:बाबा रामदेव ने कोशिश की कोरोना को नियंत्रित करने की, लेकिन थोड़ी सी चूक में सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। बाबा जी का अति उत्साही कदम जो जल्दबाजी में उठाया गया,पर बहुत सी काली नजरें जमीं थी, जिसे बाबा जी भांप नहीं पाते और धाराशाई हो गये। अगर थोड़ी और बुद्धिमानी दिखलाई होती तो शायद कोई उंगली नहीं उठा पाते। ICMR को बगैर विश्वास में लिए बाबा ने जल्दबाजी में CORONIL को कोरोना रोगियो के लिए लांच कर दिया और घात लगाए बैठे दुष्टों के शिकार हो गए।
बाबा जी जिस तरह का दावा कर रहे हैं, उसकी प्रमाणिकता आवश्यक है, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है, परन्तु इसे साफतौर पर खारिज करना भी उचित नहीं है, प्रमाणिकता जांचोपरांत हमें उम्मीद है कि आयूष मंत्रालय इस पर विचार करने को बाध्य हो कि शायद रोग निवारण ना सही पर रोग सुधारक दवा ही बनकर उभरे। अब देखना है कि बाबा जी का अगला कदम क्या होगा?
इतिहास साक्षी है कि हर मुसीबत धूर्तो के लिए एक मौका साबित होता रहा है, बड़ी बड़ी दवा निर्माता कंपनियां आज इसी मौके को तलाश रही हैं और इसी बीच बाबा ने धमाकेदार पहल की कोशिश कर सबको सदमे में डालना चाहा, परन्तु उन काली निगाहों के शिकार हो गए जो इसे बड़े मौके पर बड़ी कमाई के रूप में उपयोग करने को प्रयासरत हैं। वैसे हमारी शुभकामनाएं बाबा जी को।
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