रांची: प्रदेश में खास लोगों के लिए जेल मैनुअल की ऐसी की तैसी हो रही है रिम्स के पेइंग वार्ड में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव से मिलने वाले कद्दावर लोग अपना राजनीतिक रुतबा दिखाते हुए बगैर जेल प्रशासन की अनुमति के जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ा रहे हैं और खास रास्ते से उनसे मिलने वालों का सिलसिला जारी रहने की खबर है।इसी कड़ी में पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद सुबोध कांत सहाय के द्वारा लालू प्रसाद यादव से मिलने की खबर है लेकिन मीडिया की नजरें उन पर पड़ गई उस वक्त मुलाकात करने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने जानकारी देते हुए बताया कि लालू यादव से हमारा रिश्ता 1974 से है। वहीं लालू प्रसाद की सुरक्षा में तैनात पुलिस वालों का कहना था कि उन्हें जेल प्रबंधन की ओर से लालू यादव से सुबोध कांत सहाय के मिलने के संदर्भ में सूचना नहीं दी गई थी। वह किस तरह किस रास्ते से लालू से मिले यह उन्हें नहीं मालूम है।
दूसरी ओर सुबोध कांत सहाय ने लालू से मित्रता का हवाला देते हुए कहा कि उनका स्वास्थ्य का हाल जानने आए थे, जहां बातचीत के दौरान उनसे कुछ राजनीतिक मुद्दे पर भी बातचीत हुई।
जबकि सजायाफ्ता से मुलाकात करने के लिए नियमानुसार आदेश लेना जरूरी होता है, क्योंकि वह जेल में सजायाफ्ता हैं, लेकिन सुबोधकांत सहाय ने उनसे मिलने के लिए किसी तरह के नियमों का पालन नहीं किया था और न ही जेल प्रबंधन को इसकी जानकारी दी थी।
वहीं दूसरी ओर RML में शवों के साथ रहने को मजबूर कोरोना मरीज की हालात को लेकर जब सुबोधकांत सहाय से सवाल किये गए तो उन्होंने ऑफ कैमरा बताया कि लालू यादव को मिलने की सूचना दे दी गई थी।
बहरहाल जेल मैनुअल का खुलेआम उल्लंघन कर सजायाफ्ता से मिलनेवाले प्रदेश में कानून व्यवस्था को किसके इशारे पर ठेंगा दिखा रहे हैं यह तो जांच का विषय है।
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