(वार्ता स्पेशल): (रिपोर्ट सतीश सिन्हा की)जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प का मामला देश की सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने यह मामला शरद अरविंद बोबडे की बेंच के समक्ष रखते हुए कहा कि ये मामला पूरे देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन का है।सुप्रीम कोर्ट को इसमें खुद संज्ञान लेना चाहिए।
इस नसीहत पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा संज्ञान लिया जाएगा लेकिन पहले ‘हंगामा बंद हो जाना चाहिए’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने आगे कहा केवल इसलिए कि,’ वो लोग स्टूडेंट्स हैं, इसका ये मतलब नहीं है कि वो कानून व्यवस्था अपने हाथ में ले सकते हैं’।
जब माहौल शांत हो जाएगा, तब हम फैसला लेंगे। अभी हम कुछ फैसला लें, इस तरह का फ्रेम ऑफ माइंड अभी नहीं है। पहले दंगा खत्म होने दिया जाए. पहले माहौल को शांत होने दिया जाए। उसके बाद हम स्वत संज्ञान लेंगे. हम अधिकारों और शांतिपूर्वक प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं।
वही खबरों के मुताबिक वरिष्ठ वकील कॉलिन गोन्साल्विस ने भी CJI से अपील की कि जामिया मामले की जांच का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज को सौंपना चाहिए. साथ ही कॉलिन ने वायरल हो रहे का मुद्दा भी उठाया।
वहीं सीजीआई ने कहा‘हम नहीं देखना चाहते।अगर पब्लिक प्रॉपर्टी को बर्बाद करना जारी रहा और हिंसा होती रही, तो हम इस पर सुनवाई नहीं करेंगे’।
बहरहाल’वरिष्ठ वकीलों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुए हंगामे पर सुनवाई करने के लिए 17 दिसंबर की तारीख निर्धारित कर दी है।