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न्यू दिल्ली : जामिया में रविवार को हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक भी जामिया यूनिवर्सिटी का एक भी छात्र शामिल नहीं है। गिरफ्तार किए गए लोगों में तीन घोषित बदमाश हैं और सभी जामिया और ओखला इलाके के रहने वाले हैं। साथ ही पुलिस ने कहा कि हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि छात्रों को क्लीन चिट दे दी गई है। वहीं, दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस कार्रवाई और विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ सोमवार को देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए।
इधर पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल कर मामले की सीबीआई, एनआईए और कोर्ट से गठित कमेटी से जांच कराने की मांग की है। पश्चिम बंगाल के अलावा जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, एएमयू और उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा की भी जांच कराने की मांग की गई है। पूरी जांच प्रक्रिया की निगरानी सुप्रीम कोर्ट से करने की अपील की गई है।
अश्विनी उपाध्याय की याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुर्शिदाबाद में 14 दिसंबर को पांच ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया लेकिन मुख्यमंत्री अपराधियों के खिलाफ एक्शन लेने की जगह सड़क पर उतर कर नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध कर रही हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और विधायक हिंसा फैलाने वालों का समर्थन कर रहे हैं। इतना ही नहीं, ये लोग उल्टा पुलिस को ही आरोपी बना रहे हैं। ऐसे में इस मामले की सीबीआई, एनआईए या सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त एसआईटी से जांच कराई जाए।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पहले शांति सुनिश्चित होनी चाहिए और उसके बाद ही नागरिकता कानून के खिलाफ दक्षिणी दिल्ली के जामिया क्षेत्र में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कथित बर्बरता मामले पर सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कहा, “पहले हम वहां शांति चाहते हैं और अगर आप सड़क पर उतरना चाहते हैं तो फिर उस परिदृश्य में हमारे पास न आएं।”
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