हजारीबाग: जिले के झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता सह जिला पार्षद संजीव बेदिया के पुत्र पीयूष के अपहरण की कहानी और वह किस तरह अपहर्ताओं के चंगुल से बच निकला और रविवार की रात अपने घर पहुंचा तो उसके परिवार वालों की जान में जान आ गई। एक ओर डर के मारे उसके हाथ पांव कंपकंपा और लड़खड़ा रहे थे। घटना की सूचना मिलते ही हजारीबाग और रामगढ़ जिला पुलिस पीयूष के द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक जांच में जुट गए और अपराधियों की तलाश में पारगढ़ा का जंगल छानने में लग गए।
इधर भी उसके मुताबिक रविवार दोपहर लगभग 1:00 बजे वह घर के पास मोबाइल चला रहा था इसी बीच दो बाइक पर सवार चार लोग किसी का पता पूछने के लिए रुके और उसे कुछ सूंघा दिया। जिससे वह बेहोश हो गया
देर शाम जब उसे होश आया तो उसने अपने को पारगढा जंगल में पाया और अपहरणकर्ता उसे जान से मारने की धमकी दे रहे थे। इसी बीच देर रात अपहरणकर्ता खाने पीने में जुट गए और वह मौका देखकर वहां से दौड़ते भागते बच निकला और घर पहुंचा।
इधर पुत्र के घर पहुंचते ही संजीव बेदिया और उनके परिजनों में जान आ गई पुत्र के सकुशल लौट आने पर उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया और कहा कि मेरी तो दुनिया ही लूट चुकी थी लेकिन सब की दुआएं फलीभूत हो गई।
- Advertisement -