श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा है. नवरात्री के पांचवे दिन इनकी पूजा करने का विधान है. इनके विषय में ऐसी मान्यता है कि जब पृथ्वी प्र असुरों का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था तब स्कंदमाता ने अपने संत जनों की रक्षा के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्ट दानवों का संहार किया था.
मान्यता है कि स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इनकी साधना करने से भक्त अलौकिक तेज प्राप्त करता है। इसके साथ ही मां अपने भक्तों के सभी दुखों का निवारण करती है, उनके लिए मोक्ष का द्वार खोलती है।