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(वार्ता स्पेशल):देशद्रोह के मामले में लाहौर हाईकोर्ट ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ को मौत की सज़ा सुनाई है।मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ ये मुक़दमा पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने किया था जब उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नून) 2013 में दोबारा सत्ता में आई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छह साल तक चले मुक़दमे के बाद न्यायाधीश वक़ार सेठ ने तीन सदस्यों वाली विशेष सैन्य अदालत का फ़ैसला सुनाया। दो न्यायाधीशों में से एक ने मौत की सज़ा के फ़ैसले का विरोध किया।
खबरों के अनुसार मुशर्रफ़ अब तक केवल एक ही बार सुनवाई में शामिल हुए हैं जब उनके ख़िलाफ़ आरोप तय हुए थे।अब उनके पास फ़ैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन का वक़्त था।मगर इसके लिए उन्हें अदालत में उपस्थित होना पड़ेगा।
इस्लामाबाद की विशेष न्यायालय ने 31 मार्च, 2014 को देशद्रोह के एक मामले में पाकिस्तान के पूर्व सैनिक राष्ट्रपति जनरल (रिटायर्ड) परवेज़ मुशर्रफ़ को अभियुक्त बनाया था।वह पाकिस्तान के इतिहास में पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके विरुद्ध संविधान की अवहेलना का मुक़दमा चला।
बताते चलें वर्ष 2013 के चुनावों में जीत के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) सरकार में आई।सरकार आने के बाद पूर्व सैनिक राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ संविधान की अवहेलना का मुक़दमा दायर किया गया था।
पूर्व सैन्य राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ एक गंभीर देशद्रोह मामले की सुनवाई करने वाली विशेष न्यायालय के चार प्रमुख बदले गए थे।
अभियुक्त परवेज़ मुशर्रफ़ केवल एक बार विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुए जब उन पर आरोप लगाया गया था। उसके बाद से वो कभी कोर्ट में पेश नहीं हुए।इस बीच मार्च 2016 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर मुशर्रफ़ विदेश चले गए। तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी मुस्लिम लीग (नून) ने एक्ज़िट कंट्रोल लिस्ट से उनका नाम हटा लिया था जिसके बाद उन्हें देश छोड़कर जाने की अनुमति दे दी गई थी।
संविधान की अवहेलना और गंभीर देशद्रोह के मुक़दमे पर उन्होंने कहा था, “यह मामला मेरे विचार में पूरी तरह से निराधार है. देशद्रोह की बात छोड़ें, मैंने तो इस देश की बहुत सेवा की, युद्ध लड़े हैं और दस साल तक देश की सेवा की है.”
मुशर्रफ़ ने वीडियो जारी करते हुए कहा था कि संविधान की अवहेलना के मामले में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा था, “मेरे वकील सलमान सफ़दर तक को न्यायालय नहीं सुन रही है. मेरे विचार में यह बहुत ज़्यादती हो रही है और मेरे साथ न्याय नहीं किया जा रहा है।
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