[वार्ता स्पेशल: रिपोर्ट:सतीश सिन्हा] प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के संगठन के चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा से बाबूलाल मरांडी के साथ शामिल हुए अभय सिंह को संगठन में मुकम्मल स्थान न मिलने और समेत सुरेश साव, रमेश राही,शोभा यादव सरीखे नेताओं को जो बाबूलाल मरांडी के खास बताए जाते हैं। उन्हें भारतीय जनता पार्टी के संगठन में नेतृत्वकर्ताओं के रूप में स्थान ना मिलने का मलाल इन पूर्व झाविमो कार्यकर्ताओं में दिखने की चर्चा है। खबर यह है कि ऐसे नेताओं के द्वारा बाबूलाल मरांडी से इस संदर्भ में गुपचुप रूप से चर्चा भी हो चुकी है लेकिन बाबूलाल मरांडी ने फिलहाल इन्हें वॉच एंड वेट यानी मौन रहने का मंत्र फिलहाल फूंक दिया है।गौरतलब हो कि जब बाबूलाल मरांडी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे उस वक्त उन्हें फौरन भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का नेता का दर्जा दे दिया गया था। झारखंड विकास मोर्चा के भाजपा में विलय के दौरान तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने खुले मंच से घोषणा की थी कि हर स्तर पर सांगठनिक ढांचे में मोर्चा के लोगों को भी प्रतिनिधित्व का मौका दिया जाएगा।
वहीं दूसरी ओर यहां तक की अब तक के राजनीतिक सफर में बाबूलाल मरांडी के सबसे विश्वासी और करीबी रहे अभय सिंह को धनबाद का संगठन प्रभारी बनाए जाने पर भारतीय जनता पार्टी सहित इसमें विलय हुए झारखंड विकास मोर्चा कार्यकर्ताओं में भी आश्चर्य होना स्वाभाविक है। वहीं राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा है कि जिस तरह प्रदेश के संगठन में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के लोगों को काफी अहमियत मिली है और ज्यादा तरजीह दी गई है। इससे कई राजनीतिक मायने निकल रहे हैं चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से उनकी पूर्व की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता ही उनके लिए भारी पड़ा। वे जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से झारखंड विकास मोर्चा से रघुवर दास को टक्कर देते आ रहे थे।
बहरहाल स्थिति में एक ओर भाजपा के प्रदेश के संगठन में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के लोगों को ज्यादा अहमियत मिलने के कारण रघुवर विरोधी गुट भी नाराज चल रहा है और ऊपर से झाविमो से भाजपा में गए लोगों के नाराज होने से नाराज तबके में इजाफा हो गया है और जारी भी है। जो भविष्य में प्रदेश की राजनीति में नया इतिहास रच सकती है क्योंकि झारखंड में कब और किस ओर राजनीति मुड़ जाएगी यह कोई नहीं कह सकता वैसे भी भाजपा के कर्मठ सरयू राय फिलहाल निर्दलीय विधायक बने हुए हैं। वैसे भी झारखंड राजनीति में अलग-अलग समीकरणों के लिए समय-समय पर इतिहास रच चुका है। विधानसभा चुनाव आते ही यहां कल क्या होगा किसने जाना!