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Tuesday, March 28, 2023

प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते सरकारी स्कूलों नामांकन सहित सभी गतिविधियों पर रोक की पहल शुरू, जानें कब तक रहेगी ठप…

रांची:देश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण से झारखंड भी अछूता नहीं रहा है इसी के मद्देनजर केंद्र आए आदेशों को अनुपालन कराने हेतु प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में नामांकन सहित तमाम गतिविधियों पर रोक लगाने की पहल शुरू होने की खबर है। फिलहाल तक रोटेशन के आधार पर राज्य के स्कूलों में शिक्षक विभिन्न तरह के कार्यों को निपटा रहे थे लेकिन अब तमाम तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए अमल शुरू हो चुका है। प्रदेश के स्कूलों में इस तरह की रोक केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से भेजे गये पत्र के आलोक में किया जा रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की स्कूली शिक्षा और साक्षरता सचिव अनीता करवल ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर निर्देशित किया है।इसी आदेश के बाद राज्य सरकार राज्य में आदेश को लागू करने की तैयारी कर रहा है।इस संबंध में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद का कहना है कि राज्य के स्कूलों में आपदा प्रबंधन विभाग के निदेर्शों के आधार पर काम हो रहा है।कोरोना की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार केंद्र के निर्देश का पालन करेगी।केंद्र से जो आदेश आया है उसके अनुसार स्कूल कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षक और कर्मचारी 31 जुलाई तक संस्थान नहीं आयेंगे।सभी घर से ही काम करेंगे। स्कूल कॉलेजों के छात्र छात्राओं के लिए ऑनलाइन डिजिटल कंटेंट शिक्षक घर से ही भेजेंगे।

इसका परिणाम यह होगा कि केंद्र से आये निर्देश के बाद राज्य के सरकारी स्कूलों में चल रहे कई कार्यक्रम रूक जायेंगे। स्कूलों में पहली, छठी, 9वीं क्लास के लिए चल रही नामांकन की प्रक्रिया बंद हो जायेगी। वहीं स्कूलों में दिये जा रहे किताब और मध्याह्न भोजन योजना के चावल वितरण की प्रक्रिया भी बंद हो जायेगी। वहीं दूसरी ओर राज्य के स्कूलों में नामांकन सहित अन्य काम के लिए आपदा प्रबंधन विभाग के निर्देश पर सरकारी स्कूलों में दो-दो शिक्षक रोटेशन पर आ रहे हैं। शिक्षक पिछले महीने से ही रोटेशन के आधार पर आ रहे हैं। स्कूलों के काम को निपटाने के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशक के निर्देश के बाद स्कूलों में सभी शिक्षकों को बुलाया जाने लगा था।

साथ ही शिक्षा विभाग की ओर से चलाये जा रहे गांव चले अभियान पर भी रोक लग जायेगी।बच्चों को छोटे-छोटे समूह में पढ़ाने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी।इसमें हर दिन दो घंटे उन बच्चों को पढ़ाया जाना था। जिन्हें डिजिटल कंटेंट नहीं मिल पा रहा है।रांची:देश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण से झारखंड भी अछूता नहीं रहा है इसी के मद्देनजर केंद्र आए आदेशों को अनुपालन कराने हेतु प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में नामांकन सहित तमाम गतिविधियों पर रोक लगाने की पहल शुरू होने की खबर है। फिलहाल तक रोटेशन के आधार पर राज्य के स्कूलों में शिक्षक विभिन्न तरह के कार्यों को निपटा रहे थे लेकिन अब तमाम तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए अमल शुरू हो चुका है।

प्रदेश के स्कूलों में इस तरह की रोक केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से भेजे गये पत्र के आलोक में किया जा रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की स्कूली शिक्षा और साक्षरता सचिव अनीता करवल ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर निर्देशित किया है।इसी आदेश के बाद राज्य सरकार राज्य में आदेश को लागू करने की तैयारी कर रहा है।इस संबंध में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद का कहना है कि राज्य के स्कूलों में आपदा प्रबंधन विभाग के निदेर्शों के आधार पर काम हो रहा है।कोरोना की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार केंद्र के निर्देश का पालन करेगी।केंद्र से जो आदेश आया है उसके अनुसार स्कूल कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षक और कर्मचारी 31 जुलाई तक संस्थान नहीं आयेंगे।सभी घर से ही काम करेंगे। स्कूल कॉलेजों के छात्र छात्राओं के लिए ऑनलाइन डिजिटल कंटेंट शिक्षक घर से ही भेजेंगे।

इसका परिणाम यह होगा कि केंद्र से आये निर्देश के बाद राज्य के सरकारी स्कूलों में चल रहे कई कार्यक्रम रूक जायेंगे। स्कूलों में पहली, छठी, 9वीं क्लास के लिए चल रही नामांकन की प्रक्रिया बंद हो जायेगी। वहीं स्कूलों में दिये जा रहे किताब और मध्याह्न भोजन योजना के चावल वितरण की प्रक्रिया भी बंद हो जायेगी। वहीं दूसरी ओर राज्य के स्कूलों में नामांकन सहित अन्य काम के लिए आपदा प्रबंधन विभाग के निर्देश पर सरकारी स्कूलों में दो-दो शिक्षक रोटेशन पर आ रहे हैं। शिक्षक पिछले महीने से ही रोटेशन के आधार पर आ रहे हैं। स्कूलों के काम को निपटाने के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशक के निर्देश के बाद स्कूलों में सभी शिक्षकों को बुलाया जाने लगा था।

साथ ही शिक्षा विभाग की ओर से चलाये जा रहे गांव चले अभियान पर भी रोक लग जायेगी।बच्चों को छोटे-छोटे समूह में पढ़ाने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी।इसमें हर दिन दो घंटे उन बच्चों को पढ़ाया जाना था। जिन्हें डिजिटल कंटेंट नहीं मिल पा रहा है।

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