रांची :- राजधानी रांची के डोरंडा, लालपुर, हिनु, धुर्वा और बरियातू ऐसे क्षेत्र हैं, जहां डॉग बाइट के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि बल्कि सदर अस्पताल में चल रहे डॉग बाइट सेंटर के आंकड़े बता रहे हैं। ये वो इलाके हैं, जहां से आने वाले मरीजों की संख्या कुल मरीजों की संख्या का लगभग 60 फीसदी है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि लावारिश कुत्तों और जानवरों पर नियंत्रण करने वाला कोई नहीं है। हालांकि रांची नगर निगम इस बात का दावा करता है कि स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी की जा रही है।
राजधानी रांची में सदर अस्पताल में भी एंटी रैबिज की सुई लगाई जाती है। यहां हर माह लगभग दो सौ लोगों को डॉग बाइट के मरीज इंजेक्शन लेने पहुंच रहे हैं। डॉग बाइट के मामले शहर में लगभग 25 फीसदी तक बढ़े हैं। डॉग बाइट सेंटर के मुताबिक जिन इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या ज्यादा है, वहीं से डॉग बाइट के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। डोरंडा, लालपुर, हिनु, धुर्वा और बरियातू ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से डॉग बाइट के मामले सबसे ज्यादा हैं।
इधर सदर अस्पताल के डॉग बाइट सेंटर में हर माह 200 लोग एंटी रैबिट का इंजेक्शन लेने पहुंच रहे हैं। वहीं दूसरी ओर रांची नगर निगम के मुताबिक शहर के 30 फीसदी स्ट्रीट डॉग्स ही ऐसे बचे हैं, जिनकी नसबंदी नहीं हो सका है। जबकि नगर निगम के पास ऐसा कोई आंकड़ा ही नहीं है कि राजधानी रांची में कितने आवारा कुत्ते हैं और किस इलाके में कितने आवारा कुत्ते हैं। आज तक न तो नगर निगम ने और न ही पशुपालन विभाग ने किसी तरह सर्वे कराया है।
आंकड़े रजिस्टर्ड तो नहीं है पर कोकर का डिस्टलरी पुल इलाका, लालपुर सब्जी मंडी, हरमू बाजार, हरमू मुक्तिधाम इलाका, हिंद पीढ़ी, डोरंडा, कर्बला चौक, डंगराटोली, मोरहाबादी जैसे इलाके में सबसे ज्यादा लावारिस कुत्ते घुमते नजर आते हैं।
ऐसा नहीं है कि आमलोग केवल आवारा कुत्तों से ही परेशान हैं। बल्कि आवारा पशुओं से भी उतने ही परेशान हैं। लेकिन शहर में कितने आवारा पशु घूमते रहते हैं, इसकी जानकारी न तो पशुपालन विभाग को है और न ही रांची नगर निगम को। विभाग ने ऐसे पशुओं की आज तक गणना भी नहीं की है। नतीजा यह है कि आए दिन लोग सड़कों पर आवारा पशुओं से टकरा कर घायल हो रहे हैं।