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Tuesday, March 28, 2023

सूचना अधिकार क़ानून की धज्जियां उड़ा रहे है ,पदाधिकारी

साहिबगंज:- आम जनता के हित में वर्ष 2005 में केंद्र सरकार द्वारा सूचना का अधिकार कानून के माध्यम से आम जनता के समक्ष हो रहे विभाग में भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए कॉन्ग्रेस के कार्यकाल में एक बहुत ही अच्छा अध्यादेश लाया गया था।

जिससे आम जनों की गाढ़ी कमाई की कुछ अंश जो टैक्स के रूप में सरकार को प्राप्त होती है उस खर्च राशि का ब्यौरा, हर एक भारत का आम नागरिक किसी भी विभाग से, घर बैठे एक आवेदन देकर आसानी से सभी सूचनाएं मांग सकता है जिसे लेकर (राइट टू इनफार्मेशन) सूचना का अधिकार 2005 लागू किया गया था परंतु, जिला कल्याण पदाधिकारी सह जन सूचना पदाधिकारी साहिबगंज से आरटीआई कार्यकर्ता संतकुमार घोष( अधिवक्ता) ने विभाग से 6 बिंदु पर 10 फरवरी 2020 को सूचना, की मांग की गई थी ।

परंतु 30 दिन पूरा होने के पश्चात भी सूचना विभाग द्वारा प्राप्त नहीं कराई गई, जिसे लेकर विधिवत 13 मार्च को प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के पास अपील दायर किया गया आवेदन कर्ता के द्वारा ताकि वहां सूचना ससमय प्राप्त हो सके हैं परंतु प्रथम अपील पदाधिकारी उपनिदेशक संथाल परगना प्रमंडल दुमका से मांगी गई तो वहां से 6 जुलाई 2020 को प्रथम अपील पदाधिकारी कि दो सूचना एक बार में अपील करता को प्राप्त होती है।

अब इसे क्या कहा जाए, कोरोना को लेकर बंदी, या बहाना पत्र के ज्ञापांक 74/ 26 जून के आलोक में अपीलकर्ता को सुनवाई की अगली तिथि 10 जुलाई को अनिवार्य रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का सुनिश्चित किया गया है तथा विभाग द्वारा चालबाजी कर साथ में एक पत्र जिसका पत्रांक 70 दिनांक 18 जून के पत्र भी संग में भेज दिया जाता है कहीं ना कहीं आयोग से बचने के लिए प्रथम अपीलीय पदाधिकारी, दो सूचना पत्र के साथ एक में ही भेज देते है ताकी अपीलकर्ता को अनुपस्थित दिखाया जा सके वही 25 जून के पत्र में प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के द्वारा वहीं लिखा गया कि मामले की सुनवाई तिथि नियम संगत की गई थी उक्त तिथि को आप अनुपस्थित रहे ।

अपीलकर्ता को अनुपस्थित रहना लाजमी है क्योंकि कि प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के द्वारा सूचना पत्र आज दिनांक 6 जुलाई को प्राप्त होता है । वही अधिकतर विभाग द्वारा सूचना अधिकार कानून का उल्लंघन और मजाक बना कर रख दिया गया हैं। जन सूचना पदाधिकारी समय अवधि पर सूचना उपलब्ध नहीं कराने के कारण प्रथम अपील करन पढ़ता है और प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के द्वारा भी सूचना पत्र विलंब से पहुंचता है जबकि अभी के समय में लगभग सभी विभाग कंप्यूटर युक्त है ईमेल के माध्यम से भी सूचना दी जा सकती है परंतु कोरोना महामारी को एक बहाना के रूप में दिखाकर, पदाधिकारी अपनी मनमानी करते दिख रहे हैं ।

वही आवेदन कर्ता व अपील कर्ता संत कुमार (अधिवक्ता) ने बताया कि भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए मात्र एक सूचना अधिकार ही कारगर उपाय है परंतु कुछ भ्रष्ट अधिकारी इसे नहीं चलने दे रहे हैं क्योंकि वह जानते हैं की आगे भ्रष्टाचार का दुकान जो फल फूल रहा है वह नहीं चल सकेगा मैं बता देना चाहता हूं कि मैं स्वयं एक अधिवक्ता हूं मैं इस मामले को उच्च न्यायालय तक ले जाने का काम करूंगा ।

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