रांची : केंद्र सरकार ने वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप को देखते हुये एक बार फिर से अगले आदेश तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का निर्देश देते हुए स्कूलों को भी खास निर्देश दिया गया।जिसमें विद्यालय बंद रहने की अवधि तक किसी प्रकार का वार्षिक शुल्क, यातायात शुल्क या अन्य किसी प्रकार का शुल्क अभिभावकों से नहीं लिया जाएगा।उक्त से संबंधित शुल्क स्कूलों में पढ़ाई में शुरू होने के बाद समानुपातिक आधार पर अभिभावकों से ली जा सकेगी।किसी भी परिस्थिति में अभिभावकों से लेट फाइन नहीं लिया जाएगा।
केंद्र सरकार ने कहा है कि स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के अभिभावकों की आमदनी भी प्रभावित हुई कई अभिभावकों को वेतन भी नहीं मिल पा रहा है तो कई अभिभावकों का रोजगार भी प्रभावित है।इसलिए उन्हें स्कूल फीस भरने में कठिनाई हो रही है।इन तमाम हालातों को देखते हुए सरकार ने आदेश जारी किया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए स्कूल फीस में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं की जायेगी। वहीं स्कूलों के खुलने से पहले तक सिर्फ मासिक ट्यूशन फीस ही लेना है।
जाने फैसले की अहम बातें
शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए स्कूल फीस में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
स्कूलों को पूर्ववत संचालन शूरु होने से पूर्व सिर्फ ट्यूशन फीस मासिक दर पर लिया जाएगा।
किसी भी परिस्थिति में शिक्षण शुल्क जमा नहीं करने के कारण किसी भी छात्र का नामांकन रद्द नहीं किया जाएगा तथा ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था की सुविधा से वंचित नहीं किया जाएगा।
विद्यालय में नामांकित सभी छात्रों को बिना किसी भेदभाव के ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था के लिए आईडी एवं पासवर्ड तथा ऑनलाइन शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी विद्यालय प्रमुख की होगी।
विद्यालय बंद रहने की अवधि तक किसी प्रकार का वार्षिक शुल्क, यातायात शुल्क या अन्य किसी प्रकार का शुल्क अभिभावकों से नहीं लिया जाएगा. उक्त से संबंधित शुल्क स्कूलों में पढ़ाई में शुरू होने के बाद समानुपातिक आधार पर अभिभावकों से ली जा सकेगी।
किसी भी परिस्थिति में अभिभावकों से लेट फाइन नहीं लिया जाएगा।
विद्यालय में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के वेतन में किसी भी प्रकार की कटौती या रोक नहीं लगाई जाएगी।
विद्यालय प्रबंधन द्वारा शुल्क के लिए कोई नया मद सृजित कर अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव नहीं बनाया जाएगा।
जारी निर्देशों का अनुपालन नहीं करने की स्थिति में संबद्धता के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्गत अनापत्ति प्रमाण पत्र रद्द/पुर्नविचार किया जाएगा तथा आवश्यकतानुसार विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
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