एजेंसी: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के हिस्ट्रीशीटर अपराधी विकास दुबे को उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने एनकाउंटर मे शुक्रवार सुबह ढेर कर दिया। आतंक का पर्याय बने विकास ने बिकरू में पुलिस के अफसर सहित 8 पुलिस वालों को सुनियोजित साजिश के तहत जिस निर्दयता पूर्वक घेरकर हत्या कर दी थी। उसके बाद से भी बिकरू गांव के लोग जो पहले ही विकास दुबे के खौफ से कांपते थे क्योंकि उसके साथ चार थाने की पुलिस भी थी। जैसे ही शुक्रवार की सुबह विकास दुबे का पुलिस के द्वारा एनकाउंटर का खबर सुर्खियों में आया। बिकरू गांव के लोगों का खौफ समाप्त हो गया। वर्षों से जो आतंक और खौफ विकास दुबे का भी खेल रहे थे और कल तक उसके खिलाफ कुछ भी बोलने से कांप रहे थे। लोगों का कहना है कि एक आतंक युग का अंत हो गया है। विकास दुबे के गांव बिकरू में खुशी का माहौल है। मिठाइयां बांटी गई।
खबरों के अनुसार आतंक का पर्याय बने विकास दुबे ने 19 साल पहले सबसे पहला शिकार शिवली के रहने वाले पूर्व सरपंच लल्लन बाजपेयी कानपुर को बनाकर अपराध की दुनिया में हलचल मचाना शुरू कर दिया था। बताया जाता है कि विकास दुबे ने उन पर खुद जेल में बंद होने के बावजूद बम से हमला कराया था। इस घटना में लल्लन बाजपेयी के परिवार के 3 लोगों की मौके पर मौत हो गई थी।जबकि कई लोग घायल हो गए थे।
लल्लन बाजपेयी का कहना है कि विकास ने 17 साल की उम्र में पहला मर्डर किया था जब उस केस में उसे कोई सजा नहीं मिली तो उसका हौसला बढ़ गया। वो बड़े वारदात को अंजाम देने लगा। कभी जेल जाता तो कभी छूट कर बाहर आ जाता था।
बता दें कि विकास दुबे को 9 जुलाई को मध्य प्रदेश में उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद रात में यूपी पुलिस एसटीएफ सड़क के रास्ते उसे लेकर कानपुर आ रही थी।पुलिस के मुताबिक इस दौरान कानपुर टोल नाके के 25 किलोमीटर पहले उसकी कार पलट गई। जिसके बाद उसने पुलिस का पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की।पुलिस की जवाबी कार्रवाई में विकास दुबे मारा गया।
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