[रिपोर्ट सतीश सिन्हा]100 यूनिट फ्री बिजली प्रदेशवासियों को देने का वादा कर सत्ता हासिल करने वाली मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार प्रदेश में जनता को बिजली आपूर्ति के मामले में अभी तक छलने का ही काम किया है। ना तो लोगों को 100 यूनिट बिजली फ्री ही मिली न ही बिजली ही माकूल मिल रही है। बिजली दुर्व्यवस्था का यह आलम है कि कब बिजली आती है कब चली जाती है इसका कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। लोगों की नींद हराम है। छात्रों का पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। उद्योग धंधे भी चौपट हो रहे हैं। नींद पूरी नहीं होने और भीषण गर्मी में लोगों की तबीयत बिगड़ रही है। विपक्ष और आम जनता कई बार सड़कों पर आई यहां तक कि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान हरफनमौला खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी के ट्वीट के बाद सरकार कुछ जागी थी लेकिन फिर वही हालात हैं। बिजली की अनियमित आपूर्ति से लोग बेहाल हो गए हैं। जनता में हेमंत सरकार के खिलाफ बिजली को लेकर भी भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है।यहां तक कि सत्ता पक्ष के भी कई नेताओं के द्वारा बिजली व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई गई थी जीएम तक ज्ञापन दिया गया था और बिजली सुधार की मांग की गई थी लेकिन फिलहाल तक बिजली व्यवस्था बेहाल ही है जनता में त्राहिमाम मचा हुआ है। वह तो इंद्र भगवान की कृपा है कि गर्मी कुछ कम लग रही है फिलहाल गर्मी का सीजन है यदि गर्मी गिरने लगेगी तो और त्राहिमाम मचने की संभावना है।
वहीं दूसरी ओर कई लोगों का यहां तक कहना है कि जब प्रदेश में अंडरग्राउंड केबलिंग हुई थी तो लोगों में उम्मीद जगी थी कि बिजली व्यवस्था सुचारू हो जाएगी व्यवस्थित हो जाएगी आंधी तूफान बारिश आदि का असर कम हो जाएगा या नहीं के बराबर हो जाएगा पावर कट, लेकिन हो रहा है इसके उलट हल्की आंधी तूफान के बाद भी बिजली 4 घंटे 5 घंटे तक गुल हो रही है।सुबह पेयजल आपूर्ति होनी चाहिए तो दोपहर में हो रही है उसका भी कोई टाइम टेबल नहीं रह रहा है। लोगों के मन में आशंका व्याप्त हो रही है कि अंडर ग्राउंड केबलिंग में भी घोटाला हुआ है क्या? आखिर हल्की आंधी बारिश होने से अंडर ग्राउंड के केबलिंग होने के बावजूद घंटों पावर कट क्यों हो रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्र परसुडीह थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में शुक्रवार 27 मई पंचायत चुनाव का चौथा और अंतिम चरण के दिन की संध्या आंधी तूफान के बाद जो बिजली गुल हुई थी तकरीबन 4 या 5 घंटे के बाद आई थी। उसके बाद शनिवार की सुबह भी तकरीबन 5:00 बजे के आसपास बिजली गुल हो गई और तकरीबन 3- 4 घंटे के बाद बिजली आई। बिजली आई उसके बाद लोगों ने सोचा कि अब ठीक हो गया है आंधी बारिश के कारण कुछ खराबी आ गई होगी जिसके कारण बिजली गुल थी लेकिन फिर वही हाल बिजली आना जाना लगा हुआ है। कब आ रही है कब जा रही है कोई उसका निर्धारित समय नहीं है।परसुडीह इलाके नहीं ग्रामीण क्षेत्र जैसे बागबेड़ा वगैरह में भी बिजली की हुई व्यवस्था होने की खबरें आ रही हैं। परसुडीह क्षेत्र में एक बार फिर शनिवार 28 मई तकरीबन 3:00 बजे के आसपास पावर गुल है। लोग इंतजार में है कब आएगी।
वही पिछले दिनों जब बिजली की अव्यवस्था को लेकर पूरे देश भर में खूब हो-हल्ला मचा था तो प्रदेश सरकार ने अन्य राज्यों की तरह यह बयान देकर अपना पल्ला झाड़ लिया था कि पूरे देश में पावर कट हो रही है कोयले की कमी है। जबकि मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक केंद्र ने कोयले की कमी दूर करने के लिए कई यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया है माल गाड़ियों को यात्री ट्रेनों की जगह कोयला ढुलाई में तेज रफ्तार से लगा दिया है। जनता यह जानना चाहती है कि क्या अभी भी कोयले की कमी है।
वहीं इसके इतर हेमंत सरकार में गठबंधन में शामिल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन जिले के बिष्टुपुर स्थित तिलक पुस्तकालय में 26 मई गुरुवार को यह बयान दिया था कि यदि केंद्र 1.36 लाख करोड़ रुपया बकाया झारखंड का दे दे तो हेमंत सरकार 24 घंटे प्रदेशवासियों को बिजली देगी।
बहरहाल ऐसी स्थिति में जनता सोचने को मजबूर है कि केंद्र से खार का बदला हेमंत सरकार जनता से ले रही है क्या! डबल इंजन सरकार को कोस कर सत्ता में आने वाली हेमंत सरकार सिंगल इंजन की गठबंधन सरकार इस मोर्चे पर बुरी तरह असफल साबित हो रही है। 100 यूनिट फ्री देने का वादा करने वाली सरकार हेमंत सरकार के कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि 400 यूनिट से ज्यादा बिजली खपत करने वाले लोगों की सब्सिडी की बंद कर दी है। जनता के मन में घोर अविश्वास हेमंत सरकार के प्रति छलक रहा है। कहीं ऐसा ना हो कि जनता समझ ले कि हेमंत सरकार ने उसे छल दिया है। आम जनता से तो कभी-कभी यह भी बातें सुनने में आती है कि सत्तारूढ़ सरकार चाहे कुछ भी लूटपाट मचाए लेकिन जनता को तो ना परेशान करे उसे बिजली पानी और मूलभूत सुविधाओं से वंचित ना रखें लेकिन यहां तो बिजली जैसी मूलभूत सुविधा का घोर अभाव चल रहा है।