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गढ़चिरौली में 11 हार्डकोर नक्सलियों ने किया सरेंडर, 82 लाख के थे इनामी

On: December 10, 2025 6:52 PM
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गढ़चिरौली: महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले में बुधवार को सुरक्षा एजेंसियों को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई। जिले की पुलिस और राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के लगातार दबाव और प्रभावी रणनीति के बीच 11 हार्डकोर नक्सलियों ने पुलिस महानिदेशक (DGP) रश्मी शुक्ला के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

अधिकारियों के अनुसार, यह सरेंडर अभियान नक्सल विरोधी मोर्चे पर एक निर्णायक सफलता है क्योंकि इन सभी नक्सलियों का वर्षों से जंगलों में सक्रिय और ऑपरेशनल भूमिका में होना सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बना हुआ था।

चार नक्सली वर्दी में पहुंचे

आत्मसमर्पण करने वालों में से चार नक्सली वर्दी पहनकर पहुंचे, जो यह दर्शाता है कि यह समूह अब तक भूमिगत गतिविधियों और ऑपरेशनों में सक्रिय था। सभी सदस्यों ने DGP शुक्ला के सामने अपने हथियार जमा कर हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का भरोसा जताया।

सरेंडर करने वाले 11 नक्सलियों में 2 डिवीजनल कमेटी सदस्य, 3 प्लाटून पार्टी कमेटी सदस्य, 2 एरिया कमेटी सदस्य और 4 सामान्य पार्टी सदस्य शामिल हैं। इनमें कई महिला नक्सली भी शामिल हैं।

सबसे बड़ा नाम: भीमा उर्फ बाजू लेकामी

सरेंडर करने वालों में सबसे वरिष्ठ और बड़ा नाम 57 वर्षीय रमेश उर्फ भीमा उर्फ बाजू गुड्डी लेकामी है, जो भामरागढ़ क्षेत्र का डिवीजनल कमेटी सदस्य रहा है। बाकी नक्सली छत्तीसगढ़ के सुकमा, बीजापुर, कांकेर और नारायणपुर जिलों के रहने वाले हैं, जिनकी गतिविधियां वर्षों से महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा के घने जंगलों में दर्ज की जा रही थीं।


82 लाख रुपये का कुल इनाम हुआ अमान्य

गढ़चिरौली पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, इन 11 नक्सलियों पर कुल 82 लाख रुपये का इनाम घोषित था। सरकार ने समय-समय पर इनके पद और गंभीर मामलों के आधार पर इनाम की राशि तय की थी। आत्मसमर्पण के बाद यह इनाम राशि अमान्य हो गई है, लेकिन सभी नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत लाभ प्रदान किए जाएंगे।

संयुक्त अभियान का असर: दबाव और आउटरीच दोनों कारगर

पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि नक्सल मोर्चे पर यह सफलता गढ़चिरौली पुलिस और CRPF के संयुक्त प्रयासों का नतीजा है। पिछले कई महीनों से इंटेलिजेंस-आधारित ऑपरेशन, जंगलों में लगातार दबाव, सर्च एंड डेस्ट्रॉय मिशन और स्थानीय स्तर पर चलाए जा रहे आउटरीच कार्यक्रम। इन सभी ने मिलकर नक्सलियों के नेटवर्क को कमजोर किया, जिसके परिणामस्वरूप यह सामूहिक आत्मसमर्पण संभव हो पाया।

माओवादी ढांचे को गहरा झटका

अधिकारियों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में उच्च-स्तरीय नक्सल कैडरों का एक साथ सरेंडर होना माओवादी संगठन के लिए बड़ा झटका है। सुरक्षा एजेंसियां अब मान रही हैं कि आने वाले महीनों में इसका असर जंगलों में नक्सल गतिविधियों को और कमजोर करेगा।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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