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निचली अदालतों में जज बनने के लिए 3 साल की प्रैक्टिस अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

On: May 20, 2025 2:27 PM
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब सिविल जज जूनियर डिवीजन की परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम तीन साल की वकालत जरूरी होगी। यह अनुभव किसी ऐसे वकील द्वारा प्रमाणित होना चाहिए, जिसे बार काउंसिल में 10 वर्षों का अनुभव हो

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज सीनियर डिवीजन के पदों पर प्रमोशन की सीमा को भी बढ़ाने का आदेश दिया है। पहले यह प्रमोशन कोटा 10% था, जिसे अब बढ़ाकर 25% करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए सभी राज्य सरकारों और हाईकोर्ट को अपने-अपने सेवा नियमों में बदलाव करने को कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई उम्मीदवार लॉ क्लर्क के रूप में काम कर चुका है, तो उस अनुभव को भी प्रैक्टिस के हिस्से के तौर पर गिना जाएगा। साथ ही जज बनने के बाद, नए नियुक्त जजों को कोर्ट में कार्यभार संभालने से पहले कम से कम एक साल का प्रशिक्षण लेना जरूरी होगा। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि यह नियम उन नियुक्तियों पर लागू नहीं होंगे, जहां पहले से सिविल जज जूनियर डिवीजन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लेकिन जिन नियुक्तियों को इस केस के चलते रोका गया था, अब वे संशोधित नियमों के तहत दोबारा शुरू होंगी।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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