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म्यांमार: धार्मिक त्योहार और विरोध प्रदर्शन के दौरान बौद्ध समुदाय के 40 लोगों की मौत, 80 घायल; पैरामोटर से बरसाए गए बम

On: October 8, 2025 4:03 PM
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नाय पी ताव: म्यांमार के मध्य क्षेत्र में थादिंग्युत त्योहार के दौरान एक भयावह हमला सामने आया है, जिसमें कम से कम 40 नागरिकों की मौत हो गई और 80 अन्य घायल हो गए। मृतकों में बच्चे भी शामिल हैं। यह हमला ऐसे समय हुआ जब लोग पारंपरिक बौद्ध त्योहार मनाने के साथ-साथ सैन्य सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

हमला सोमवार शाम को चाऊंग यू टाउनशिप में उस वक्त हुआ जब लोग एकत्रित होकर मोमबत्ती जुलूस और विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे थे। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल त्योहार का उत्सव मनाना था, बल्कि देश में सैन्य शासन के खिलाफ एकजुटता दिखाना और राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग करना भी था।

पैरामोटर से हवाई हमला, दो बम गिराए गए

प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय पीपुल्स डिफेंस फोर्स (PDF) के अनुसार, जैसे ही कार्यक्रम चल रहा था, उन्हें संभावित हवाई हमले की सूचना मिली। आयोजकों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

PDF के एक अधिकारी ने बताया: “हमने लगभग सात मिनट पहले ही खतरे की जानकारी दी थी, लेकिन पैरामोटर बहुत तेज़ी से मौके पर पहुंच गए और दो बम गिराए। पहला बम गिरते ही मैं नीचे गिर पड़ा, मेरे पैर में चोट आई, और मेरे बगल में खड़े कई लोग मारे गए।”

स्थानीय निवासियों ने बताया कि विस्फोट इतने विनाशकारी थे कि कई शवों की पहचान तक नहीं हो सकी।

मानवाधिकार संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पैरामोटर जैसे हवाई हथियारों का इस्तेमाल म्यांमार में एक खतरनाक ट्रेंड बनता जा रहा है। संगठन ने कहा: “यह हमला एक डरावनी चेतावनी है कि म्यांमार के नागरिक तत्काल सुरक्षा के मोहताज हैं। आसियान (ASEAN) को अब म्यांमार की मौजूदा नीति की समीक्षा करनी चाहिए, जो पिछले पांच वर्षों से असफल रही है।”

पृष्ठभूमि: तख्तापलट के बाद का संकट

म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से ही देश गृहयुद्ध जैसे हालातों का सामना कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अब तक 5,000 से अधिक आम नागरिकों की मौत हो चुकी है।

सोमवार का विरोध प्रदर्शन खास तौर पर आगामी दिसंबर में प्रस्तावित चुनावों, सैन्य भर्ती की अनिवार्यता, और आंग सान सू की समेत अन्य राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग को लेकर आयोजित किया गया था। आलोचकों का मानना है कि यह चुनाव केवल सेना को वैधता दिलाने का माध्यम बनेंगे, और इनमें स्वतंत्रता व निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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