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संभल में खुदाई के दौरान मिले 400 साल पुराने सिक्के, राम, सीता और लक्ष्मण की बनी है आकृति

On: January 24, 2025 10:34 AM
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संभल: संभल जिले में स्थित अमरपति खेड़ा इलाके में 300 से 400 साल पुराने सिक्के मिले हैं। साथ ही कुछ पत्थर की शिलाएं और मिट्टी के बर्तन भी बरामद किए गए हैं। एसडीएम वंदना मिश्रा और एएसआई की टीम ने गुरुवार को प्राचीन धरोहरों का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण के दौरान टीम को जमीन के अंदर दबे एक मिट्टी की हांडी में बेशकीमती सोने के सिक्के मिले। इन सिक्कों में कुछ ब्रिटिश काल के हैं, जबकि कुछ उससे भी पुराने हैं। एक सिक्के पर राम, सीता और लक्ष्मण की आकृती भी उकेरी हुई थी।

एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि अलीपुर खुर्द गांव में एक पुराना आस्था स्थल है, जिसे 1920 से एएसआई द्वारा संरक्षित किया गया है। यह स्थल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और यहां से मिले मृदभांड और सिक्के भी ऐतिहासिक महत्व के हैं। उन्होंने बताया कि एक सिक्के पर राम, सीता और लक्ष्मण की आकृति के साथ-साथ कई अन्य सिक्कों पर विभिन्न आकृतियाँ भी उकेरी गई थीं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने बताया कि इस स्थल पर पहले एक समाधि थी, जो सोत नदी के किनारे स्थित थी। नदी के पानी के प्रभाव से जब मिट्टी हटने लगी, तो वहां कुछ कंकाल, कमंडल और एक शिला भी मिली। ये सभी प्राचीन वस्तुएं अब संरक्षित की जा रही हैं। इन ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ियां इनका महत्व समझ सकें।

दरअसल, संभल जिले को तीर्थस्‍थल के रूप में जाना जाता है। पिछले कई महीनों से संभल में खुदाई का काम जारी है। सदियों पुरानी बावड़ी और मंदिर मिलने के बाद अब खजाना हाथ लगा है। संभल में एतिहासिक धरोहरों को संरक्ष‍ित करने का काम किया जा रहा है। भारतीय पुरात्‍व सर्वेक्षण ASI की टीम ने संभल के अल्‍लीपुर के अमरपति खेड़ा गांव का निरीक्षण किया था। यह स्‍थल 1920 से ASI के संरक्षण में हैं। एसडीएम डॉ. वंदना मिश्रा ने बताया कि संरक्षित स्‍थल पर एएसआई की टीम गई थी। उन्‍होंने उस स्‍थल को अमरपति खेड़ा के नाम से चिन्‍हित किया है। अमरपति खेड़ा पूर्व से सन 1920 से एएसआई संरक्षित स्थल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि वहां पृथ्‍वीराज चौहान के समकालीन गुरु अमर की समाधि मिली थी। अब वहीं से 300 से 400 साल पुराने सिक्‍के मिले हैं।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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कानपुर का “I Love Mohammad” विवाद : पोस्टर से भड़की बड़ी बहस
कानपुर शहर हाल ही में एक पोस्टर विवाद की वजह से सुर्खियों में आ गया। मामला तब शुरू हुआ जब शहर के एक इलाके में बिना अनुमति “I Love Mohammad” लिखे बैनर और पोस्टर लगाए गए। यह पोस्टर कुछ ही समय में चर्चा का विषय बन गए और कई लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर आपत्ति जताई। विरोध बढ़ने पर पुलिस ने बैनर हटवाया और मामले की जांच शुरू की।
प्रशासन का कहना है कि यह विवाद असल में “बिना अनुमति बैनर लगाने” का है, लेकिन इसे धर्म से जोड़कर फैलाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह की अफवाह या नफरत फैलाने वाले काम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और शांति व्यवस्था बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
यह विवाद कानपुर तक सीमित नहीं रहा। धीरे-धीरे इसकी आंच उन्नाव, बरेली और यहां तक कि उत्तराखंड तक पहुंच गई। वाराणसी में साधु-संतों ने इसका जवाब “I Love Mahadev” पोस्टर लगाकर दिया। इस तरह मामला एक “पोस्टर वार” में बदल गया, जिससे समाज में तनाव की स्थिति पैदा होने लगी।
मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने पुलिस प्रशासन से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की भड़काऊ गतिविधि को रोकने की अपील की। वहीं, कुछ सामाजिक संगठनों ने भी कहा कि धार्मिक आस्था का सम्मान होना चाहिए और ऐसे विवादों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।
यह पूरा घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि छोटे-छोटे मुद्दे भी अगर सही समय पर नियंत्रित न किए जाएं तो वे बड़े विवाद का रूप ले सकते हैं। समाज को चाहिए कि आपसी भाईचारे और सद्भाव को बनाए रखते हुए ऐसे मामलों से दूरी बनाए।

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