नई दिल्ली: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है: अगर पड़ोसी देश राज्य-प्रायोजित आतंकवाद बंद नहीं करेगा तो इस बार भारत वैसा संयम नहीं दिखाएगा जैसा ऑपरेशन सिंदूर 1.0 में दिखाया गया था। उन्होंने कहा कि इस बार ऐसा कदम उठाया जाएगा कि पाकिस्तान को “सोचना पड़ेगा कि वह भूगोल में रहना चाहता है या नहीं।”
सेना प्रमुख ने सैनिकों को उच्च सतर्कता और हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने का निर्देश भी दिया। उनके भाषण का मिज़ाज न सिर्फ कड़ा था बल्कि स्पष्ट रूप से यह संकेत भी देता है कि भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों और हठ शक्ति पर भरोसा जताया है।
इससे ठीक एक दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के भुज में शस्त्र पूजा के अवसर पर सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तान की हरकतों को लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि यदि सर क्रीक के पास कोई दुस्साहस हुआ तो उसका ऐसा जवाब मिलेगा कि “इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे” और कराची तक पहुंच की बात करते हुए पाक की संवेदनशीलता पर संकेत दिए।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर और संदर्भ
“ऑपरेशन सिंदूर” इस साल मई में भारत द्वारा किए गए सीमापार सैन्य जवाबी कार्रवाई का नाम रहा है। जिसके ज़रिये पाकिस्तान में कई लक्ष्यों पर सटीक हवाई/रॉकेट हमले बताए गए थे और उसके बाद दोनों ओर तनाव देखने को मिला। इस पृष्ठभूमि के चलते अब उच्च सैन्य नेतृत्व के ऐसे बयान को गंभीरता से देखा जा रहा है।
लाइन-ऑफ-कंट्रोल और समुद्री-सीमाओं पर बढ़ी सजगता
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन्स और दोनों देशों के बीच सैन्य गतिविधियों के मद्देनज़र भारत की सीमाओं पर सुरक्षा और निगरानी बढ़ाई गई है। रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख के समन्वित कड़े बयान यह भी दर्शाते हैं कि सरकार-सेना का संदेश साफ है: सीमा पर किसी तरह की इकाई-स्तरीय तलमलाहट या राज्य-समर्थित आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राजनैतिक और कूटनीतिक निहितार्थ
सख्त सैन्य अभिव्यक्तियां सामान्य रूप से घरेलू राजनीतिक संदेश देने के साथ-साथ विरोधी देश को रणनीतिक रुप से चेताने का काम करती हैं। हालांकि कूटनीतिक तौर पर ऐसे बयान सीमापार तनाव को बढ़ा भी सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, आगे की स्थिति इस बात पर निर्भर करेगी कि पाकिस्तान अपनी नीतियों में कोई बदलाव करता है या नहीं और क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके बढ़ते असर को मॉनिटर किया जा रहा है।
सेना प्रमुख और रक्षा मंत्री के लगातार कड़े बयानों के बाद स्थिति निडर और सतर्क दिखती है। सरकार तथा सुरक्षा बलों की बयानबाज़ी यह संकेत देती है कि भारत ने अपनी सैन्य क्षमता और निर्णय लेने की मुस्तैदी दोनों दिखा दी है — और यदि पाकिस्तान द्वारा राज्य-प्रायोजित आतंकवाद नहीं रोका गया तो दिल्ली की प्रतिक्रिया और कड़ी हो सकती है।
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