Cough Syrup Case: मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीते कुछ दिनों से बच्चों की मौत के मामले ने सभी को हिला दिया है। जानकारी के मुताबिक, अब तक 12 बच्चों की जान गई है, और इन मौतों के पीछे कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था।
जांच रिपोर्ट में कफ सिरप निर्दोष
सरकार ने मौतों के बाद पूरे बैच की दवाओं पर रोक लगाई थी और संदेहास्पद कफ सिरप को जांच के लिए भेजा था। दिल्ली के सीडीएससीओ, पुणे स्थित वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट, और मध्यप्रदेश सरकार की लैब ने कुल 9 सैंपल की जांच पूरी की। शुरुआती रिपोर्ट में किसी भी सैंपल में संदिग्ध या सब-स्टैंडर्ड (अमानक) सामग्री नहीं मिली। अब इस मामले की गहराई से जांच राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) कर रहा है।
मौतें सबसे ज्यादा छिंदवाड़ा में
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। बताया जा रहा है कि यहां करीब 1420 बच्चे सर्दी, जुकाम और बुखार से प्रभावित रहे हैं। पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था और पहली मौत 7 सितंबर को दर्ज की गई थी। जिन दो सिरप — कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सा डीएस (Nexa DS) को जिम्मेदार ठहराया गया था, वे हिमाचल प्रदेश में निर्मित होते हैं और कई सरकारी डॉक्टरों ने भी इन्हें अपने पर्चे पर लिखा था।
राजस्थान सरकार का बयान
राजस्थान में बच्चों की मौत के मामले में चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने स्पष्ट किया कि संबंधित दवा सरकारी चिकित्सकों ने नहीं लिखी थी, बल्कि परिजनों ने निजी स्तर पर दी थी। मंत्री ने कहा कि दवाओं की गुणवत्ता की जांच करवा ली गई है और सभी सैंपल मानक पाए गए हैं।
राजस्थान से भेजे गए पहले सैंपल की रिपोर्ट 29 सितम्बर को आई, जिसमें भी दवाओं में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई।
असली कारण अब भी अज्ञात
जांच रिपोर्ट में कफ सिरप को क्लीन चिट मिलने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर बच्चों की मौत का कारण क्या था? फिलहाल अधिकारी यह कह रहे हैं कि जांच जारी है और आगे की रिपोर्ट में स्थिति साफ होगी।
DGHS की एडवाइजरी: छोटे बच्चों को सिरप न दें
डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विस (DGHS) डॉ. सुनीता शर्मा ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है –
• 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह का कफ सिरप न दिया जाए।
• 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सिरप का उपयोग आम तौर पर न करें।
• 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में सिरप तभी दें जब डॉक्टर सलाह दें।
• दवा हमेशा सही मात्रा और कम से कम दिनों के लिए दी जाए।
• एक साथ कई दवाएं न दी जाएं।
साथ ही डॉक्टरों को सलाह दी गई है कि सिरप के बजाय पहले घरेलू और प्राकृतिक उपाय अपनाए जाएं, जैसे –
भाप लेना, गुनगुना पानी पीना, पर्याप्त तरल और आराम करना।
स्वास्थ्य संस्थानों को निर्देश
DGHS ने सभी सरकारी और निजी संस्थानों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि –
• दवाएं सिर्फ अच्छी गुणवत्ता वाली कंपनियों से खरीदी जाएं।
• दवाओं में केवल फार्मास्यूटिकल ग्रेड सामग्री का उपयोग हो।
• डॉक्टर और फार्मासिस्ट सही परामर्श और दवा देने के नियमों का पालन करें।
इन निर्देशों का पालन केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और मेडिकल कॉलेजों तक करने को कहा गया है।
कफ सिरप बना जानलेवा! मध्यप्रदेश-राजस्थान में 12 बच्चों की मौत, सरकार की एडवाइजरी- 2 साल से कम उम्र के बच्चों को सिरप ना पिलाएं

