गिरिडीह: जिले में बुधवार को नक्सल उन्मूलन अभियान में एक बड़ी सफलता मिली, जब भाकपा (माओवादी) संगठन से जुड़े एक सक्रिय नक्सली दंपती ने पुलिस और प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में एरिया कमेटी सदस्य शिवलाल हेम्ब्रम उर्फ शिवा (25) और उनकी पत्नी, दस्ता सदस्य सरिता हांसदा उर्फ उर्मिला (19) शामिल हैं।
यह आत्मसमर्पण गिरिडीह के पुलिस अधीक्षक डॉ. बिमल कुमार, उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी रामनिवास यादव, अपर पुलिस अधीक्षक अभियान सुरजीत सिंह, सीआरपीएफ 154 बटालियन के कमांडेंट अमित सिंह, डुमरी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी समेत अन्य पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
नक्सल संगठन में वर्षों तक रहे सक्रिय
शिवलाल हेम्ब्रम, जो मधुबन थाना अंतर्गत टेसाफुली गांव का निवासी है, वर्ष 2017 में भाकपा (माओवादी) संगठन से जुड़ा था। शुरुआत में संतरी और रसोइया जैसे कार्यों से शुरुआत करने के बाद, वह धीरे-धीरे संगठन के भीतर ऊंचे पदों पर पहुंचा। बाद में उसे कुख्यात माओवादी कमांडर करम दा उर्फ विवेक का अंगरक्षक बनाया गया और वर्ष 2022 में एरिया कमेटी सदस्य के पद पर पदोन्नत किया गया।
वहीं, सरिता हांसदा, जो खुखरा थाना क्षेत्र के चतरो गांव की निवासी है, वर्ष 2020 में माओवादी महिला सदस्य जया दी के माध्यम से संगठन में शामिल हुई थी। दोनों की मुलाकात संगठन में ही हुई और वर्ष 2024 में उन्होंने आपस में विवाह कर लिया।
संगठन के अंदर शोषण और हिंसा से तंग आकर लिया फैसला
पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले दोनों नक्सलियों ने संगठन के वरिष्ठ कमांडरों द्वारा किए जा रहे शोषण, ग्रामीणों पर अत्याचार और लगातार बढ़ती पुलिस कार्रवाई से भयभीत होकर आत्मसमर्पण का निर्णय लिया। गिरिडीह पुलिस लंबे समय से दोनों के परिजनों के संपर्क में थी और उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर रही थी।
गंभीर आपराधिक मामलों में दर्ज हैं मुकदमे
शिवलाल के खिलाफ गिरिडीह, डुमरी, मधुबन, खुखरा, चतरोचट्टी और जगेश्वर विहार थाना क्षेत्रों में कुल 11 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन मामलों में हत्या, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, आर्म्स एक्ट और यूएपीए जैसी धाराएं शामिल हैं। सरिता हांसदा के खिलाफ भी कई नक्सली वारदातों में प्राथमिकी दर्ज है।
पुनर्वास नीति के तहत मिलेगा लाभ
आत्मसमर्पण करने के बाद दोनों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सभी निर्धारित लाभ दिए जाएंगे। इस नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण, शिक्षा और पुनर्वास के अन्य साधन प्रदान किए जाते हैं, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में लौट सकें और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
पुलिस की रणनीति को मिली सफलता
गिरिडीह पुलिस द्वारा चलाए जा रहे सतत संपर्क और मनोवैज्ञानिक परामर्श अभियान की सफलता के रूप में इस आत्मसमर्पण को देखा जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि यह घटनाक्रम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अन्य उग्रवादियों को भी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करेगा।
गिरिडीह में नक्सली दंपती ने किया आत्मसमर्पण, इस वजह से लिया फैसला














