La Niña Impact on India Winter: देश में मानसून अब लगभग विदा ले चुका है और मौसम में हल्की ठंडक महसूस की जाने लगी है। फिलहाल मौसम सुहावना है, लेकिन भारतीय मौसम विभाग (IMD) और अमेरिकी जलवायु पूर्वानुमान केंद्र (NOAA) दोनों ने चेतावनी दी है कि इस बार ठंड सामान्य से अधिक पड़ सकती है। इसका मुख्य कारण है — ला नीना (La Niña), जो प्रशांत महासागर में घटने वाली एक समुद्री घटना है और जिसका असर वैश्विक जलवायु पर व्यापक रूप से पड़ता है।
क्या है ला नीना?
‘ला नीना’ स्पेनिश भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है “छोटी बच्ची”। यह घटना तब होती है जब प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र (Equatorial Pacific) के सतही जल का तापमान सामान्य से नीचे चला जाता है। इस दौरान विषुवत रेखा के आसपास चलने वाली ट्रेड विंड्स (Trade Winds) काफी तेज हो जाती हैं, जो समुद्र के गर्म पानी को पश्चिम की ओर धकेल देती हैं। परिणामस्वरूप पूर्वी प्रशांत का जल ठंडा हो जाता है और वैश्विक तापमान तथा मौसमी चक्रों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलता है।
भारत पर ला नीना का असर
ला नीना का सीधा असर भारत के मौसम पर पड़ता है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके कारण भारत में ठंड अधिक और लंबी अवधि की होती है, जबकि मानसून के दौरान बारिश सामान्य से अधिक होती है। इस वर्ष मानसून अच्छा रहने के पीछे भी विशेषज्ञ ला नीना को एक प्रमुख कारण मान रहे हैं।
क्षेत्र प्रभाव कारण परिणाम
उत्तर भारत: ठंड अधिक, रातें सर्द, Western Disturbances सक्रिय ठंडा पानी → हवाओं पर असर → कम बादल → ठंड बढ़ाता है न्यूनतम तापमान कम, शीत लहर संभव।
दक्षिण भारत : हल्की ठंड, तापमान ज्यादा नहीं गिरता, समुद्र का नजदीक होना, Western Disturbances का अभाव, सामान्य तापमान, सर्दी का हल्का असर।
उत्तर भारत में शीतलहर और बर्फबारी की संभावना
मौसम विभाग के अनुसार, इस बार उत्तर भारत के कई हिस्सों में शीतलहर (Cold Wave) की स्थिति बन सकती है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी की संभावना अधिक है। वहीं, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी तापमान सामान्य से नीचे जा सकता है।
ला नीना के कारण पश्चिम से आने वाली हवाएं और भी ठंडी हो जाती हैं, जिन्हें पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) कहा जाता है। यही हवाएं उत्तर भारत में सर्दी बढ़ाने, बारिश और बर्फबारी का कारण बनती हैं। हालांकि, अगर सर्दी अत्यधिक हुई और पाला (Frost) पड़ा, तो फसलों को नुकसान हो सकता है।
कुल मिलाकर, साल 2025 की सर्दी सामान्य से अधिक ठंडी रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग का कहना है कि यह ठंड सुकून देने वाली होगी, हालांकि पाला पड़ने या न पड़ने के बारे में अभी कोई सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
ला नीना एक प्राकृतिक घटना है जो कभी बारिश बढ़ाती है तो कभी सर्दी। इस बार इसका असर ठंड बढ़ाने वाला होगा — यानी इस सर्दी की तैयारी अभी से कर लीजिए, क्योंकि मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, ठंड इस बार लंबी और तीखी दोनों होगी।











