---Advertisement---

बिकिनी पहनकर विदेशी महिला ने गंगा में लगाई डुबकी, वायरल VIDEO ने मचाया बवाल

On: October 23, 2025 4:34 PM
---Advertisement---

ऋषिकेश: उत्तराखंड की धार्मिक नगरी ऋषिकेश एक बार फिर चर्चा में है। यहां लक्ष्मण झूला के पास गंगा नदी में स्नान करती एक विदेशी महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। वीडियो में महिला बिकिनी और फूलों की माला पहने, गंगा में उतरने से पहले प्रार्थना करती दिखाई दे रही है। इस दृश्य ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे “आस्था की अभिव्यक्ति” बता रहे हैं, जबकि कई इसे भारतीय परंपराओं और धार्मिक भावनाओं के प्रति असंवेदनशील करार दे रहे हैं।


सोशल मीडिया पर दो खेमे

वीडियो वायरल होने के बाद बड़ी संख्या में सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने विदेशी महिला के पहनावे पर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि “मां गंगा कोई समुद्री तट नहीं है” और धार्मिक स्थलों पर मर्यादित कपड़े पहनना चाहिए। आलोचकों का तर्क है कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है, इसलिए इसका सम्मान किया जाना जरूरी है, विशेषकर विदेशी आगंतुकों द्वारा।

दूसरी ओर, एक बड़ा वर्ग महिला के समर्थन में भी सामने आया। उनका कहना है कि महिला के इरादे गलत नहीं थे, वह श्रद्धा से स्नान करने आई थी। कुछ ने यह भी लिखा कि स्थानीय पुरुष अक्सर कम कपड़ों में गंगा में डुबकी लगाते हैं, तब किसी को आपत्ति नहीं होती। फिर महिला पर ही सवाल क्यों?

बहस पहुंची लिंगभेद और संस्कृति तक

यह विवाद सिर्फ पहनावे तक सीमित नहीं रहा। अब लोग इसे लिंगभेद और सांस्कृतिक समझ से भी जोड़ रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि आस्था कपड़ों से नहीं, बल्कि मन की भावना से जुड़ी होती है। कई यूजर्स ने लिखा, “अगर कोई विदेशी श्रद्धा से स्नान कर रही है, तो उसे ताने नहीं, सम्मान मिलना चाहिए। उसने शायद हमारे धार्मिक भावों के सांस्कृतिक पहलुओं को नहीं समझा, लेकिन उसका उद्देश्य अपमान करना नहीं था।”

स्थानीय प्रशासन की नजर

हालांकि अभी तक प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन चर्चा है कि नगर प्रशासन धार्मिक स्थलों पर ड्रेस कोड लागू करने पर विचार कर सकता है। ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे धार्मिक स्थलों पर पहले भी “संस्कारी पहनावा” को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जाने की मांग उठ चुकी है।

यह घटना अब सिर्फ एक विदेशी महिला के स्नान तक सीमित नहीं रही। यह बहस बन चुकी है कि आस्था की मर्यादा किससे तय होती है, कपड़ों से या भावनाओं से? सोशल मीडिया पर जारी इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या आधुनिकता और परंपरा एक साथ चल सकती हैं, या हमें अब भी उनके बीच की सीमाएं तय करनी होंगी।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

Join WhatsApp

Join Now