रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) समन अवहेलना मामले में मंगलवार को हाई कोर्ट से बड़ी कानूनी झटका लगा है। हाई कोर्ट ने इस केस में दी गई अंतरिम राहत को समाप्त करते हुए निचली अदालत की कार्यवाही पर लगी रोक हटा दी है। इसके साथ ही मामले में CM सोरेन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
क्या है मामला?
ED ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अपने समन का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए रांची स्थित एमपी-एमएलए विशेष अदालत में शिकायतवाद दायर किया था। अदालत ने इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था।
मुख्यमंत्री सोरेन ने इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था और व्यक्तिगत उपस्थिती से छूट देने के साथ-साथ पूरे मामले को खत्म करने की मांग की थी। उस वक्त हाई कोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
हाई कोर्ट में क्या हुआ?
मंगलवार को जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत में सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से दो मांगें रखी गईं:
1. मामले पर और समय दिया जाए
2. अंतरिम राहत को जारी रखा जाए
लेकिन अदालत ने दोनों आग्रहों को अस्वीकार कर दिया और स्पष्ट कहा कि अंतरिम राहत को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने पूर्व में दिया गया अंतरिम आदेश वापस ले लिया।
अब क्या होगा?
हाई कोर्ट की रोक हटते ही एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही कार्यवाही स्वतः बहाल हो गई है। इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री को अब निचली अदालत के आदेशों का सामना करना पड़ेगा। ED की शिकायत पर व्यक्तिगत उपस्थिति को लेकर फिर से प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। मामले में अगली तारीख पर अदालत उनका पक्ष सुनने की तैयारी करेगी। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हाई कोर्ट का यह आदेश मुख्यमंत्री के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है।
कानूनी मोर्चे पर बढ़ी चिंता
झारखंड में ED से जुड़े मामलों का लंबे समय से राजनीतिक असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में हाई कोर्ट द्वारा अंतरिम राहत समाप्त किए जाने को राज्य की राजनीति में बड़ा विकास माना जा रहा है। अब सीएम सोरेन की कानूनी टीम को निचली अदालत में अपनी दलीलें रखनी होंगी।
हेमंत सोरेन को बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने ED समन अवहेलना मामले में अंतरिम राहत खत्म की











