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भारत का वो रहस्यमय मंदिर, जहां रोज होता है चमत्कार, अपने आप बजने लगती हैं घंटियां; गेट खुलते ही नजर आता है अद्भुत दृश्य

On: November 28, 2025 4:02 PM
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Maihar Devi Mandir: मध्य प्रदेश के नवगठित जिले मैहर में स्थित मां शारदा का प्राचीन मंदिर हर दिन अपने एक अनोखे चमत्कार के कारण चर्चा में रहता है। त्रिकूट पर्वत की 600 फीट ऊंचाई पर बसे इस शक्तिपीठ में वह रहस्य है, जिसे समझने की कोशिश में वैज्ञानिकों तक ने कई बार जांच की, लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ा।

मंदिर खुलने से पहले ही होती है पूजा-अर्चना

स्थानीय पुजारियों और श्रद्धालुओं के अनुसार, रोजाना शाम की आरती के बाद जब मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, उसके बाद भी भीतर से घंटी बजने और पूजा पाठ की आवाजें सुनाई देती हैं। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जब पुजारी दोबारा कपाट खोलते हैं तो माता के सामने ताज़े फूल और पूर्ण पूजा की व्यवस्था पहले से ही मिलती है, जैसे किसी ने पूरी श्रद्धा से रात में आरती की हो।

आल्हा-ऊदल की वीर गाथा से जुड़ा है चमत्कार

मैहर के इस रहस्य को लेकर मान्यता है कि यह पूजा बुंदेलखंड के परमार वंश के वीर योद्धा आल्हा करते हैं। वही आल्हा जिनकी शौर्य गाथाएं कवि जगनिक ने 52 कथाओं में अमर कर दीं।
कथाओं के अनुसार, पृथ्वीराज चौहान से युद्ध के बाद गुरु गोरखनाथ के आदेश पर आल्हा और उनके भाई ऊदल ने संन्यास ले लिया था। कहा जाता है कि आज भी आल्हा माता शारदा के परम भक्त के रूप में जीवित हैं और हर सुबह मंदिर खुलने से पहले पहली आरती करते हैं।

600 फीट ऊंचाई पर स्थित पवित्र शक्तिपीठ

मैहर मां शारदा का मंदिर देश के प्रमुख शक्तिपीठों में शुमार है। मान्यता है कि जब भगवान शिव सती माता का शरीर लेकर घूम रहे थे, तब विष्णु के सुदर्शन चक्र से कटे अंगों के कारण विभिन्न शक्तिपीठ बने। मैहर में मां सती का हार गिरा था, इसी से इस स्थान का नाम ‘मैहर’ पड़ा अर्थात् ‘मां का हार’।

मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 1065 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। हर दिन हजारों भक्त माता के दर्शन के लिए यहां आते हैं और चमत्कारिक पूजा का प्रसंग सुनकर दंग रह जाते हैं।

आल्हा के तालाब में आज भी दिखती है रहस्यमयी हलचल

त्रिकूट पर्वत के ठीक नीचे स्थित है आल्हा का तालाब। स्थानीय लोगों का दावा है कि सुबह-सुबह ऐसा प्रतीत होता है कि कोई योद्धा इस तालाब में स्नान कर घोड़े पर सवार होकर माता शारदा के दर्शन को जा रहा है। कभी-कभी इस तालाब में खिले कमल के फूल मंदिर में माता के चरणों में मिलते हैं, जिसे भक्त इस रहस्य का प्रमाण मानते हैं।

वैज्ञानिकों ने की जांच, पर नहीं मिला जवाब

इस चमत्कार की सच्चाई जानने के लिए कई बार वैज्ञानिक टीमें भी मंदिर पहुंचीं, लेकिन उन्हें ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिससे पूजा अपने आप होने का कारण समझाया जा सके। जांच के बाद टीम सिर्फ इतना कह सकी कि इस घटना को विज्ञान से समझा नहीं जा सकता।

मुरादें पूरी होने का विश्वास

माता शारदा के भक्त मानते हैं कि जहां स्वयं वीर आल्हा आरती करने आते हों, उस स्थान की दिव्यता का कोई मुकाबला नहीं। भक्तों का कहना है कि मां शारदा के दरबार में आस्था रखने वालों की हर मुराद अवश्य पूरी होती है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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