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पूर्व सांसद सालखन ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा,मांझी परगना जनतांत्रिक नहीं, कार्रवाई करें

On: December 26, 2025 9:15 PM
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जमशेदपुर:संथाली भाषा और ओल चिकी लिपि में कल आपने राष्ट्रपति भवन में भारत के संविधान को जारी किया है। जो ऐतिहासिक और गर्व का विषय है। धन्यवाद और जोहार।

परंतु आदिवासी समाज खासकर संथाल समाज में आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के तहत माझी_ परगना व्यवस्था में जनतंत्र नहीं है। इसमें माझी परगना (ग्राम प्रधान ) आदि की नियुक्ति जनतांत्रिक नहीं है ,बल्कि वंशवादी है। जिनको ग्राम के सभी लोग मिलकर नहीं चुनते हैं।
दूसरी तरफ संथाल गांव में संविधान का मौलिक अधिकार भी लागू नहीं है। आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के नाम पर अंधविश्वास, जबरन जुर्माना, सामाजिक बहिष्कार, डायन प्रताड़ना और हत्या आदि जारी है। यह अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मर्यादा के साथ जीने के मौलिक अधिकारों पर सीधा हमला है।

हमने 16 मार्च 2022 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इसकी जांच और उचित कार्रवाई हेतु पत्र लिखा था। जिसका उन्होंने संज्ञान लिया था। तत्पश्चात 26 अगस्त 2022 को राष्ट्रपति भवन, दिल्ली में मिलकर इस संदर्भ में आपको एक ज्ञापन पत्र सौंपा है। दुर्भाग्य से उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई प्रतीत होता है।अतः आपसे नम्र निवेदन है आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में अभिलंब जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार की पहल की जाए।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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