Shri Ram Stambh: अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक प्रभु श्रीराम के वनगमन से जुड़े पावन स्थलों पर अब एक नई आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान आकार लेने जा रही है। प्रभु श्रीराम के जिन-जिन स्थानों पर चरण पड़ने या प्रवास की धार्मिक मान्यता है, वहां ‘श्रीराम स्तंभ’ स्थापित किए जाएंगे। देशभर में ऐसे 292 स्थल चिन्हित किए जा चुके हैं।
इस विराट अभियान की पहल अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा की गई है, जो इन स्तंभों के निर्माण और स्थापना का संपूर्ण खर्च भी वहन करेगा। फाउंडेशन के अनुसार, विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों के सहयोग से इस अभियान को धरातल पर उतारने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। यह परियोजना भगवान राम की संस्कृति और विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक प्रयास है।
प्रतीकात्मक और भव्य होगा श्रीराम स्तंभ
श्रीराम स्तंभ की डिजाइन को विशेष रूप से प्रतीकात्मक रखा गया है। ये स्तंभ लगभग 15 फीट ऊंचे, पूर्णतः पत्थर से निर्मित और कलात्मक स्वरूप में होंगे। श्वेत रंग के ऊंचे स्तंभ के चारों ओर सुंदर रेलिंग और सजावटी पुष्पों की व्यवस्था की जाएगी, जबकि शीर्ष पर लहराता ध्वज विजय, धर्म और सत्य की स्थापना का संदेश देगा।
स्तंभ पर स्थापित शिलालेखों में उस स्थल से जुड़ी धार्मिक मान्यता, रामायण की संबंधित घटना और स्थानीय विश्वासों का विस्तृत वर्णन अंकित होगा, ताकि श्रद्धालुओं को एक ही स्थान पर समग्र जानकारी प्राप्त हो सके।
हाईटेक तकनीक से जुड़ेंगे श्रद्धालु
इन स्तंभों की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि ये हाईटेक होंगे। प्रत्येक स्तंभ पर एक क्यूआर कोड अंकित किया जाएगा, जिसे स्कैन करते ही मोबाइल पर उस स्थल से जुड़ी पूरी कथा, राम वनगमन की गाथा, रामायण प्रसंग और ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध हो जाएगा। इससे नई पीढ़ी तकनीक के माध्यम से भी प्रभु श्रीराम के जीवन और आदर्शों से जुड़ सकेगी।
गौरतलब है कि अशोक सिंघल राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में रहे हैं। उनकी स्मृति में चल रहा यह अभियान राम वनगमन पथ की ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक चेतना को जन-जन तक पहुंचाने पर केंद्रित है। राम वनगमन मार्ग वही पावन पथ है, जहां वनवास के दौरान अयोध्या से लेकर दक्षिण भारत तक प्रभु श्रीराम के पदचिह्न माने जाते हैं।
श्रीराम स्तंभों का स्वरूप पारंपरिक भारतीय शिल्पकला और आधुनिक उपयोगिता का अनूठा संगम होगा। यह पहल न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत करने का माध्यम भी बनेगी।
श्रीराम स्तंभ अभियान श्रद्धा, इतिहास, तकनीक और संस्कृति को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास है, जो राम वनगमन पथ को आने वाले समय में एक नई और स्थायी पहचान देगा।














