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बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया का निधन, 80 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

On: December 30, 2025 8:16 AM
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ढाका: बांग्लादेश की राजनीति की दिग्गज नेता, पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया का निधन हो गया। उन्होंने 80 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन की पुष्टि परिवार के सदस्यों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने की है। बीएनपी मीडिया सेल ने भी आधिकारिक फेसबुक पेज के माध्यम से उनके देहांत की जानकारी साझा की।


लंबे समय से अस्वस्थ थीं खालिदा जिया


खालिदा जिया बीते कई वर्षों से सीने के संक्रमण, लिवर और किडनी संबंधी समस्याओं, डायबिटीज, गठिया तथा आंखों की गंभीर बीमारियों से पीड़ित थीं। उम्र और लगातार बिगड़ती सेहत के कारण उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। हाल के महीनों में उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था।


दो बार रहीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री


खालिदा जिया बांग्लादेश की राजनीति में एक मजबूत और प्रभावशाली चेहरा रही हैं। उन्होंने दो बार देश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।


पहली बार: 1991 से 1996
दूसरी बार: 2001 से 2006


वह बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जिया-उर-रहमान की पत्नी थीं, जिनकी हत्या 1981 में हुई थी। इसके बाद खालिदा जिया ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए बीएनपी को देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित किया।


परिवार और निजी जीवन


खालिदा जिया के बड़े बेटे तारीक रहमान बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। वह वर्ष 2008 से लंदन में रह रहे थे और हाल ही में इसी महीने बांग्लादेश लौटे थे। वहीं, उनके छोटे बेटे अराफात रहमान का 2025 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। बेटे की मौत के बाद से खालिदा जिया मानसिक रूप से भी काफी कमजोर हो गई थीं।


भ्रष्टाचार मामले में सजा और कानूनी लड़ाई


खालिदा जिया को 8 फरवरी 2018 को ढाका की एक विशेष अदालत ने जिया अनाथालय ट्रस्ट से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने उन्हें 5 साल की सजा सुनाई थी। इसी मामले में उनके बेटे तारीक रहमान समेत अन्य पांच आरोपियों को 10 साल के कठोर कारावास और 2.1 करोड़ बांग्लादेशी टका जुर्माने की सजा दी गई थी। फैसला आने के बाद तारीक रहमान और दो अन्य आरोपी फरार हो गए थे।


इस फैसले को खालिदा जिया ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां 30 अक्टूबर 2018 को उनकी सजा बढ़ाकर 10 साल कर दी गई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लीव-टू-अपील दायर की, लेकिन कानूनी प्रक्रियाओं के कारण मामला करीब पांच वर्षों तक लंबित रहा।


राजनीतिक घटनाक्रम के तहत शेख हसीना के तख्तापलट के एक दिन बाद, यानी 6 अगस्त 2024 को खालिदा जिया को रिहा किया गया। रिहाई के बाद वह बेहतर इलाज के लिए लंदन चली गई थीं। वहां उन्होंने लगभग चार महीने बिताए और फिर 6 मई को बांग्लादेश वापस लौटीं। लौटने के बाद भी उनकी तबीयत में खास सुधार नहीं हो पाया।


बांग्लादेश की राजनीति में युग का अंत


खालिदा जिया के निधन को बांग्लादेश की राजनीति में एक युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है। दशकों तक उन्होंने सत्ता और विपक्ष दोनों भूमिकाओं में रहते हुए देश की राजनीति को प्रभावित किया। उनके समर्थक उन्हें लोकतंत्र की मजबूत आवाज मानते हैं, जबकि आलोचक उनके शासनकाल को विवादों से भरा बताते रहे हैं।


खालिदा जिया के निधन के बाद बीएनपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में शोक की लहर है। देश-विदेश से नेताओं और राजनीतिक दलों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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