मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एक महिला से ऑनलाइन ठगी का गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें 68 वर्षीय बुजुर्ग महिला को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डराकर साइबर ठगों ने 3 करोड़ 71 लाख रुपए की ठगी कर ली। इस हाई-प्रोफाइल साइबर अपराध को अंजाम देने के लिए आरोपियों ने खुद को पुलिस, सीबीआई अधिकारी और यहां तक कि देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ के रूप में पेश किया।
मामले में पुलिस ने गुजरात के सूरत से एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। आरोपी पर ठगी की बड़ी रकम अपने बैंक खाते में लेने का आरोप है। आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने साइबर ठगों को अपना खाता इस्तेमाल करने दिया और 1.71 करोड़ रुपये रखने के बदले 6.40 लाख रुपये कमीशन लिया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने गिरोह के दो मास्टरमाइंड्स की जानकारी भी दी है, जो फिलहाल विदेश में हैं।
पीड़िता पिछले 26 वर्षों से अंधेरी पश्चिम के वीर देसाई रोड इलाके में रह रही है। 18 अगस्त 2025 को महिला के मोबाइल पर एक कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया। इसके बाद अलग-अलग मोबाइल नंबरों से महिला को लगातार व्हाट्सएप वीडियो कॉल आने लगे।
आधार कार्ड से मनी लॉन्ड्रिंग का झूठा आरोप
ठगों ने महिला को बताया कि उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग कर केनरा बैंक में एक फर्जी खाता खोला गया है, जिसमें करीब 6 करोड़ रुपए का अवैध लेन-देन हुआ है। आरोपियों ने दावा किया कि इस मामले में महिला के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया जा चुका है और कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है। महिला द्वारा केनरा बैंक में खाता न होने की बात कहने पर ठगों ने कथित केस नंबर, फर्जी एफआईआर और पुलिस-सीबीआई के लोगो लगे नकली दस्तावेज व्हाट्सएप पर भेज दिए। इतना ही नहीं, महिला को यह भी धमकी दी गई कि यदि उन्होंने किसी को इस बारे में बताया तो उनके परिवार के सदस्यों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
24 घंटे निगरानी और फर्जी कोर्ट सुनवाई
आरोपियों ने महिला को बताया कि वह 24 घंटे डिजिटल निगरानी में हैं और केस की सुनवाई चल रही है। कुछ देर बाद एक व्यक्ति वीडियो कॉल पर सामने आया, जिसने खुद को रिटायर्ड CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ बताया। उसने महिला से पूछताछ की और यह कहते हुए कॉल समाप्त कर दी कि जमानत नामंजूर कर दी गई है।
इसके बाद ठगों ने महिला को लीगल वेरिफिकेशन के नाम पर अपनी पूरी संपत्ति जमा कराने को कहा। महिला को म्यूचुअल फंड रिडीम करने और आरटीजीएस के जरिए अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के निर्देश दिए गए।
मानसिक दबाव और गिरफ्तारी के डर में आकर महिला ने अपने आईडीएफसी बैंक खाते से चार अलग-अलग ट्रांजैक्शन में कुल 3 करोड़ 71 लाख रुपए ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए। रकम मिलते ही ठगों ने कॉल काट दिया। कुछ समय बाद जब उन्होंने दोबारा और पैसे की मांग की, तब महिला को ठगी का अहसास हुआ।
साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज
पीड़िता ने सभी कॉल रिकॉर्ड, व्हाट्सएप चैट, बैंक स्टेटमेंट और ट्रांजैक्शन डिटेल्स के साथ साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इसके साथ ही 1930 साइबर हेल्पलाइन नंबर पर भी शिकायत की गई है।
डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड की जांच में जुटी पुलिस
फिलहाल मुंबई साइबर पुलिस इस पूरे मामले को डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड मानते हुए जांच कर रही है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने अलग-अलग मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर खुद को पुलिस, सीबीआई अधिकारी और न्यायाधीश बताकर महिला को मानसिक रूप से बंधक बना लिया और करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया।














