गुमला: झारखंड की सांस्कृतिक विरासत एक बार फिर गौरवान्वित हुई, जब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को गुमला के मोरहाबादी मैदान में आयोजित अंतरराज्यीय जन-सांस्कृतिक समागम ‘कार्तिक जतरा’ में शामिल हुईं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने झारखंड की माटी को नमन किया और कहा कि यह भूमि वीरता, त्याग और संस्कृति की अद्भुत मिसाल है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड आना उनके लिए तीर्थयात्रा जैसा अनुभव है, क्योंकि यह भूमि भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हू, फुलो-झानो और कार्तिक उरांव जैसे महापुरुषों की कर्मभूमि रही है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता और समाज के उत्थान में अमूल्य योगदान दिया।
उन्होंने महान आदिवासी नेता डॉ. कार्तिक उरांव (पंखराज साहेब) को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज को सशक्त किया और आदिवासी अस्मिता को नई दिशा दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज झारखंड के युवा देश और दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी परंपराओं, भाषा और संस्कृति को बनाए रखें, क्योंकि यही उनकी असली शक्ति है। साथ ही उन्होंने आधुनिक शिक्षा, तकनीक और नवाचार अपनाकर विकास की नई ऊंचाइयों को छूने की आवश्यकता भी बताई।
उन्होंने कहा, ‘आदिवासी समाज की परंपराएं केवल संस्कृति नहीं, बल्कि प्रकृति और मानवता के प्रति समर्पण की प्रतीक हैं। झारखंड की धरती हमें एकता, सह-अस्तित्व और प्रकृति से प्रेम करना सिखाती है।‘
राष्ट्रपति ने समाज के सभी वर्गों से शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन को प्राथमिकता देने का आह्वान किया, ताकि राज्य समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सके।
कार्यक्रम में आदिवासी नृत्य, लोकगीत, पारंपरिक वाद्ययंत्र और जनभागीदारी का उत्सव रहा। राज्यपाल, मुख्यमंत्री, स्थानीय जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में नागरिक इस अवसर पर उपस्थित थे।













