लोकसभा से पास हुए आपराधिक कानून से जुड़े तीन बिल, माॅब लिंचिंग पर सख्त कानून

On: December 20, 2023 2:57 PM

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झारखंड वार्ता
नई दिल्ली:- संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार, 20 दिसंबर को आपराधिक कानून संशोधन से जुड़े तीन नए बिल लोकसभा से पास हो गए। केन्द्र सरकार ने CrPC, IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल -2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता -2023 और भारतीय साक्ष्य बिल – 2023, लेकर आई है। इन बिलों पर चर्चा के बाद पारित किया गया। नए कानून में महिला विरोधी अपराध, देशद्रोह, आतंकवाद और मॉब लिंचिंग से संबधित नए प्रावधान हैं। नए क्रिमिनल बिलों को अब राज्यसभा में रखा जाएगा। वहां से पास होने के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
लोकसभा में 3 नए क्रिमिनल बिल पर जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- “अंग्रेजों के समय का राजद्रोह कानून खत्म किया गया है। नाबालिग से रेप और मॉब लिंचिंग जैसे क्राइम में फांसी की सजा दी जाएगी।” विधेयकों पर चर्चा और गृहमंत्री अमित शाह के जवाब के दौरान लोकसभा में निलंबित 97 सांसद, अनुपस्थित रहे।
CrPC में 485 धाराएं थीं, इसमें अब 531 धाराएं होंगी। 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। 39 नई उपधाराएं और 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं। पहले रेप की धारा 375, 376 थी, अब धारा 63, 69 में रेप को रखा गया है। मर्डर के लिए 302 था, अब 101 हुआ है।
इस बिल में 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास व फांसी की सजा तय की गई है। वहीं, 18 साल से ज्यादा की लड़की के साथ रेप या गैंगरेप के मामलों में आजीवन कारावास या 20 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही अब पीड़िता का बयान उसके आवास पर ही महिला पुलिस अधिकारी के सामने दर्ज किया जाएगा। यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही रिकॉर्ड करेगी। बयान रिकॉर्ड करते समय पीड़िता के साथ उसके माता-पिता या अभिभावक भी मौजूद रह सकते हैं।
गृहमंत्री ने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी। पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद की व्याख्या करने जा रही है। सरकार राजद्रोह को देशद्रोह में बदलने जा रही है। गृहमंत्री ने कहा कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के बारे में अब हर पुलिस थाने में विवरण दर्ज किया जाएगा और एक नामित पुलिस अधिकारी इन रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा कि तस्करी कानूनों को जेंडर-न्यूट्रल बनाया गया है। हमने फॉरेंसिक जांच पर जोर दिया है, जांच में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा।