स्वच्छ स्थान पर भगवान का वास होता है, गुरु और भगवान का स्मरण करते हुए पूरब मुंह करके स्नान करना चाहिए : जीयर स्वामी,
स्वामी जी ने कहा कि सभी आश्रमों में गृहस्थ आश्रम श्रेष्ठ माना गया है। गृहस्थ आश्रम छ सुख आवश्यक है।
स्वामी जी ने कहा कि धर्म के दस लक्षण है। यानी धैर्य क्षमा, संयम, चोरी न करना, स्वच्छता, इन्द्रियों को वश में रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और अक्रोध ये धर्म के लक्षण है। स्वच्छता की चर्चा करते हुए स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छता का तात्पर्य बाहरी और भीतरी स्वच्छता से है। भगवान बार-बार कहते है कि जिसका मन निर्मल रहता है उसे ही मैं अंगीकार करता हूँ।
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