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कई बड़े फैसले लेने वाले कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली 7 मार्च को भाजपा में होंगे शामिल, बोले..!

On: March 5, 2024 10:16 AM
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पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के पहले राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है. इसी बीच खबर आ रही है कि कई महत्वपूर्ण फैसले लेने वाले पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली 7 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पश्चिम बंगाल आने के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी उन्हें कहां से चुनाव लड़ती है वह पार्टी पर निर्भर करता है. अभिजीत गांगुली ने कहा कि भाजपा ही टीएमसी के खिलाफ लड़ सकती है.

उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल के तानों के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है .उनके तानों और कदमों ने मुझे प्रेरित किया. सत्ता पक्ष ने कई बार मेरा अपमान किया असंसदीय भाषा का प्रयोग किया गया जिससे पता चलता है कि उन लोगों को अपनी शिक्षा को लेकर समस्या है.

कई बड़े फैसले लिए, घोटाले पर आदेश दिए

राज्य में शिक्षक नियुक्ति घोटाले की जांच और उसमें पार्थ चटर्जी सहित विभित्र नेताओं की गिरफ्तारी में उनके आदेश ने अहम भूमिका निभायी थी.

मेडिकल कॉलेजों में एडिमशन का मामला

उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में सीनियॉरिटी में 5वें नंबर के जज सौमेन सेन पर एक राजनीतिक दल के लिए काम करने का आरोप लगाया. ये तब हुआ जब जस्टिस सेन की बेंच ने जज गंगोपाध्याय के आदेश पर रोक लगा दी. ये पूरा मामला पश्चिम बंगाल के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन से जुडी अनियमितताओं का था. जस्टिस गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में पश्चिम बंगाल पुलिस को मामले से जुड़े दस्तावेज सीबीआई को सौंपने का डायरेक्शन दिया था.

पश्चिम बंगाल स्कूल घोटाला मामला

जस्टिस गंगोपाध्याय ने कई ऐसे ऑर्डर दिए जिसमें पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल घोटाले से लेकर और दूसरे मामलों की जांच सीबीआई और ईडी से कराने की बात की गई. सवाल बार-बार उठा कि जब पहले ही से राज्य सरकार की एजेंसी जांच कर रही है तो मामले को केंद्रीय एजेंसी को भेजने की जरुरत ही क्या है?मिसाल के तौर पर जस्टिस गंगोपाध्याय ने कथित स्कूल घोटाले में 32 हजार शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया. बाद में डिविजन बेंच ने जरूर फैसले पर रोक लगा दी लेकिन तब तक ये आदेश आम-आवाम में जा चुका था.

नाम लिए बगैर ममता बनर्जी की कविता पर टिप्पणी

बंगाल सरकार ने ममता बनर्जी की कविता और किताब को सभी सरकारी लाइब्रेरी में रखने का आदेश दिया था. इस पर जस्टिस गांगुली ने निशाना साधा था. ममता की कविता पर उनकी टिप्पणी ने खूब सुर्खियां बटोरी थी. जनवरी 2023 में एक कार्यक्रम में जस्टिस गांगुली ने मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर कहा कि एपांग, ओपंग और झपांग को कौन पढ़ना चाहेगा? उन्होंने कहा राज्य सरकार इसे पुस्तकालय में रखकर पैसा न बर्बाद करें.

शिक्षक भर्ती घोटाला

जस्टिस गांगुली ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में ही करीब 10 अलग-अलग आदेश पारित किए. इनमें सीबीआई जांच के आदेश, पार्थ चटर्जी से पूछताछ, परेश अधिकारी की बेटी को नोकरी से हटाना जैसा आदेश भी शामिल था.जस्टिस गांगुली ने बेरकपुर में ऑटो ड्राइवर के गुंडागर्दी के खिलाफ दाखिल एक याचिका पर कमिश्नर को तलब कर लिया था, जबकि पेंशन से जुड़े एक मामले में मिदनापुर कोर्ट के जज को बुला लिया था.

टीएमसी का सिंबल वापस लेने के लिए कह सकता हूं

शिक्षक भर्ती घोटाले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गांगुली की एक टिप्पणी काफी विवादों में रही थी. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि में चुनाव आयोग से कह सकता हूं कि तृणमूल कांग्रेस का सिंबल वापस ले लें. जस्टिस गांगुली ने आगे कहा कि दीदी इतने गुंडों से कैसे निपटती होगी? जस्टिस गांगुली के इस टिप्पणी पर खूब बवाल मचा और तृणमूल ने विरोध में मोर्चा खोल दिया. तृणमूल कांग्रेस ने जस्टिस गांगुली के इस बयान पर कहा था कि जज राजनीति में जाने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए माहोल बना रहे हैं. हालांकि, विरोध के बाद जस्टिस गांगुली ने कहा कि मुख्यमंत्री अच्छा काम कर रही है.

Satyam Jaiswal

सत्यम जायसवाल एक भारतीय पत्रकार हैं, जो झारखंड राज्य के रांची शहर में स्थित "झारखंड वार्ता" नामक मीडिया कंपनी के मालिक हैं। उनके पास प्रबंधन, सार्वजनिक बोलचाल, और कंटेंट क्रिएशन में लगभक एक दशक का अनुभव है। उन्होंने एपीजे इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन से शिक्षा प्राप्त की है और विभिन्न कंपनियों के लिए वीडियो प्रोड्यूसर, एडिटर, और डायरेक्टर के रूप में कार्य किया है। जिसके बाद उन्होंने झारखंड वार्ता की शुरुआत की थी। "झारखंड वार्ता" झारखंड राज्य से संबंधित समाचार और जानकारी प्रदान करती है, जो राज्य के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है।

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