झारखंड वार्ता न्यूज़
मन बहकने लगा, प्रीत का गीत गाकर चहकने लगा….
भउजी ओरागल जाला फगुनवां…
गढ़वा : सृजन साहित्यिक मंच गढ़वा द्वारा होली के अवसर पर बुधवार की शाम हास्य व्यंग्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. स्थानीय मेलोडी मंडप में आयोेजित इस कार्यक्रम में बिहार और उतर प्रदेश के कवियों ने विभिन्न विधा के अपनी रचनाओं से देर रात तक श्रोताओं को बांधे रखा. कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि प्रधान जिला जज राजेश शरण सिंह, कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश राम बचन सिंह और सेवानिवृत जज केएन पांडेय ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के चित्र पर दीप जलाकर किया. कवि सम्मेलन की शुरूआत भभुआ से आये शंकर कैमूरी ने वर दे वीणावादिनी वर दे… सरस्वती वंदना से की. इसको आगे बढ़ाया बनारस से आये कवि नागेश त्रिपाठी ने अपनी हास्य व व्यंग्य रचना की प्रस्तुति कर की. उनकी हे ऋतुराज वसंत आओ… व मेरे साढ़ू घुले रहते हैं रहर की दाल की तरह सुनाकर तालियां बटोंरी. इसके पश्चात यूपी के चंदौली से आये मनोज द्विवेदी मधुर ने अपने एक से बढ़कर एक सस्वर गीतों की प्रस्तुति कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर डाला. उनकी रचना ऐसा क्या हो गया, मन बहकने लगा, प्रीत का गीत गाकर चहकने लगा…, भउजी ओराइल जाला फगुनवां… भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा पर- राम ही ताकत, राम निवारक, राम महामुंद मंगलकारी…सुनाकर श्रंगार रस व भक्तिरस दोनों का आनंद दिलाया.

पटना से आये फारूक सरइयाबी ने दीन, धरम इमान की बातेंं करते हैं, हम तो हिंदुस्तान की बातें करते हैं…राष्ट्रभक्ति का संदेश दिया. प्रतापगढ़ यूपी से आये दिनेश सिंह गुकज ने मंडप मेंं मैने देखा जो बीवी का नजारा…सुनाकर सबको हंसी से लोटपोट कर दिया. मंच पर गढ़वा की पुनमश्री ने होली खेले सबके संग, होली का हुड़दंग…गाकर सबको होली के रंग में डुबोने का प्रयास किया. सृजन के उपाध्यक्ष राजमणि राज ने अपनी रचना रोशन सुबह तूझी से, चांदी निशां बनी है…की प्रस्तुति कर सबको प्रभावित किया. स्थानीय लोकगायक राजकिशोर राय व संजय चौबे ने भी अपनी प्रस्तुति से सबका मनोरंजन किया.
