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शिक्षण संस्थानों को तंबाकू फ्री जोन बनाने का निर्देश, गाइडलाइन जारी

On: September 15, 2024 5:03 AM
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झारखंड वार्ता

रांची :- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी शिक्षण संस्थानों को तंबाकू फ्री जोन बनाने का निर्देश जारी किया है. साथ ही सभी संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी की है. यूजीसी के सचिव ने सभी विवि के कुलपति, कॉलेजों के प्राचार्यों तथा उच्च शिक्षण संस्थानों के निदेशक को पत्र भेज कर कहा है कि तंबाकू का उपयोग मौतों और बीमारियों का प्रमुख कारण है. ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे -2019 के अनुसार 13 से 15 वर्ष की आयु के 8.5 प्रतिशत स्कूली छात्र किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं. साथ ही हर साल 5500 से अधिक बच्चे तंबाकू का उपयोग करना शुरू करते हैं.

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

बताया गया कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार आजीवन तंबाकू का उपयोग करने वाले पांच प्रतिशत लोग 20 वर्ष की आयु से पहले ही इसका सेवन शुरू कर देते हैं. पत्र में बताया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करती है. जिसमें डीएनए क्षति, कैंसर का निर्माण और विभिन्न सांस, हृदय और अन्य नस संबंधी विकार उत्पन्न होते हैं. इसके अतिरिक्त वह भ्रूण के विकास और गर्भावस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं. सचिव ने कहा कि तंबाकू और इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट अक्सर इसके प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करते हैं और छात्रों के सीखने के परिणामों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं. अगली पीढ़ी के शिक्षकों और अभिभावकों के रूप में हमारे युवाओं को इन खतरों से बचाने के लिए निर्णायक कार्रवाई करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है.

लोगों को जागरूक करना जरूरी

पत्र में कहा गया है कि शैक्षिक संस्थानों को तंबाकू मुक्त जोन बनाने के लिए जागरूकता भी जरूरी है. तंबाकू उत्पादों की बिक्री और उपयोग के संबंध में कानूनी प्रावधानों का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करें. विशेष रूप से शैक्षिक संस्थानों, सार्वजनिक स्थानों, वैधानिक चेतावनियों और नाबालिगों की तंबाकू तक पहुंच से संबंधित देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में स्वस्थ और तंबाकू मुक्त वातावरण सुनिश्चित करना जरूरी है.

Shubham Jaiswal

“मैं शुभम जायसवाल, बीते आठ वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने विभिन्न प्रतिष्ठित अखबारों और समाचार चैनलों में प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले पाँच वर्षों से मैं साप्ताहिक अखबार ‘झारखंड वार्ता’ से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ। पत्रकारिता मेरे लिए केवल पेशा नहीं बल्कि समाज और जनता के प्रति एक जिम्मेदारी है, जहाँ मेरी कलम हमेशा सच और न्याय के पक्ष में चलती है।

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