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अब सामने आया जैविक जिहाद! डिप्टी CMO और उनके परिवार के खाने में टीबी का बैक्टीरिया मिलाकर मारने की साज़िश रच रहे थे मुशीर और जब्बार

On: October 9, 2024 4:30 AM
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उत्तरप्रदेश: लव जिहाद, थूक जिहाद के बाद एक और नया नाम चर्चा का विषय बना हुआ है। यूपी के बागपत में जैविक जिहाद का मामला सामने आया है। यहां डिप्टी सीएमओ/उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी यशवीर सिंह ने आरोप लगाया है कि उन्हीं के विभाग में कार्यरत दो संविदाकर्मी व लैब टेक्नीशियन ने मिलकर उनके परिवार को टीबी बीमारी के बलगम बैक्टीरिया और अन्य घातक रसायन खाने/पेय पदार्थ में देकर जान से मारने की साजिश रची है। डिप्टी सीएमओ यशवीर सिंह जिला क्षय रोग अधिकारी भी हैं। उन्हीं के नेतृत्व में दो टीबी और एचआईवी जांच के लिए संविदाकर्मी/ लैब टेक्नीशियन मुशीर अहमद और जब्बार खान भी काम करते हैं। आरोपी संविदाकर्मियों की एक ऑडियो क्लिप सामने आने पर साजिश का खुलासा हुआ है। साजिश का खुलासा होने के बाद डिप्टी सीएमओ बागपत ने पुलिस से मामले की लिखित शिकायत करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है।

ऑडियो वायरल होने के बाद डिप्टी सीएम में मामले में शिकायत कर दी है। फिलहाल डिप्टी सीएमओ के आरोपों पर बागपत शहर कोतवाली पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है। जांच के बाद ही मामले की सच्चाई और साजिश के पीछे का कारण सामने आएगा।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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कानपुर का “I Love Mohammad” विवाद : पोस्टर से भड़की बड़ी बहस
कानपुर शहर हाल ही में एक पोस्टर विवाद की वजह से सुर्खियों में आ गया। मामला तब शुरू हुआ जब शहर के एक इलाके में बिना अनुमति “I Love Mohammad” लिखे बैनर और पोस्टर लगाए गए। यह पोस्टर कुछ ही समय में चर्चा का विषय बन गए और कई लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर आपत्ति जताई। विरोध बढ़ने पर पुलिस ने बैनर हटवाया और मामले की जांच शुरू की।
प्रशासन का कहना है कि यह विवाद असल में “बिना अनुमति बैनर लगाने” का है, लेकिन इसे धर्म से जोड़कर फैलाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह की अफवाह या नफरत फैलाने वाले काम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और शांति व्यवस्था बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
यह विवाद कानपुर तक सीमित नहीं रहा। धीरे-धीरे इसकी आंच उन्नाव, बरेली और यहां तक कि उत्तराखंड तक पहुंच गई। वाराणसी में साधु-संतों ने इसका जवाब “I Love Mahadev” पोस्टर लगाकर दिया। इस तरह मामला एक “पोस्टर वार” में बदल गया, जिससे समाज में तनाव की स्थिति पैदा होने लगी।
मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने पुलिस प्रशासन से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की भड़काऊ गतिविधि को रोकने की अपील की। वहीं, कुछ सामाजिक संगठनों ने भी कहा कि धार्मिक आस्था का सम्मान होना चाहिए और ऐसे विवादों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।
यह पूरा घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि छोटे-छोटे मुद्दे भी अगर सही समय पर नियंत्रित न किए जाएं तो वे बड़े विवाद का रूप ले सकते हैं। समाज को चाहिए कि आपसी भाईचारे और सद्भाव को बनाए रखते हुए ऐसे मामलों से दूरी बनाए।

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