बिहार स्वर कोकिला शारदा सिन्हा पंचतत्व में विलीन,मौत से पहले देवर को बताई थी यह बात!
पटना: बिहार स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार गुरुवार को पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके बेटे अंशुमन ने नम आंखों और कांपते हाथों से अपनी मां को मुखाग्नि दी।
बता दें कि छठ के नहाए खाए के दिन पहले दिन यानी 5 नवंबर की रात को शारदा सिन्हा ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली, वो लंबे वक्त से बीमार चल रही थीं।उनके निधन से उनके फैंस समेत बिहार के लोग काफी दुखी हैं।
बता दें कि भोजपुरी संगीत को नई ऊंचाईयां देने वाली शारदा सिन्हा के स्वरों ने लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी , उनका जाना एक अपूर्णनीय क्षति है। आज भी छठ की कोई पूजा शारदा सिन्हा के गीतों के बिना पूरी नहीं होती है।
भारतीय संस्कृति और परंपरा की समृद्धि
शारदा सिन्हा अपने पीछे संगीत की एक ऐसी विरासत छोड़ गई हैं जो भारतीय संस्कृति और परंपरा की समृद्धि का अभूतपूर्व उदाहरण है। अपने संगीत में भावनाओं और कथाओं को बुनने की उनकी क्षमता ने उन्हें भारतीय संगीत के इतिहास में एक प्रतिष्ठित स्थान पर पहुंचाया है, जहां पूरी दुनिया उनके सामने नतमस्तक है।
न्यूज 18 की खबर के मुताबिक शारदा सिन्हा के देवर डॉ. नंदकिशोर सिंह ने कहा कि शारदा सिन्हा साल 2017 से ही कैंसर से जूझ रही थीं लेकिन अपने परिवार और अपने फैंस को दुखी वो नहीं करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने ये बात लोगों से छिपाकर रखी थी। उन्होंने अपने देवर से ये बात तब कही जब वो एम्स में उनसे मिलने गए थे।
उन्होंने उनसे कहा था कि ‘मुझे पता है कि मुझे कैंसर है और ये साल 2017 से है, अब मैं जल्द ही इस दुनिया से जाने वाली हूं।’ मालूम हो कि सवा महीने पहले शारदा सिन्हा के पति ब्रजकिशोर सिंह का निधन हुआ था।
‘सुहागिन इस दुनिया से जाना चाहती थीं…’
एम्स में निधन के 11 दिन पहले वो जब वो भर्ती हुई थीं तो उन्होंने अपने बेटे से कहा था कि ‘मैं तो सुहागिन इस दुनिया से जाना चाहती थीं लेकिन ईश्वर की कृपा से ऐसा नहीं हो पाया लेकिन बेटा मेरी अंतिम इंच्छा यही है कि मेरा भी अंतिम संस्कार वहीं करना जहां मेरे पति का हुआ था।’ आपको बता दें कि ब्रजकिशोर सिंह का भी अंतिम संस्कार गुलाबी घाट पर हुआ था इसलिए शारदा सिन्हा का भी अंतिम संस्कार वहां किया गया।
‘पद्म श्री’ एवं ‘पद्म भूषण’ सम्मान से सम्मानित थीं शारदा सिन्हा
- Advertisement -