यदि झारखंड प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी की बात कांग्रेस दिल्ली आला कमान मान लेती तो जमशेदपुर पूर्वी सीट कांग्रेस की झोली में होती। ऐसी चर्चा जिले के वरिष्ठ कांग्रेसियों में है। कहा जा रहा है कि झारखंड प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी ने विधानसभा चुनाव के पूर्व जिन प्रत्याशियों का नाम भेजा था। उन्हें छोड़कर दिल्ली हाई कमान ने डायरेक्ट डॉ अजय कुमार का नाम प्रत्याशी के रूप में घोषित कर दिया। जिससे कांग्रेस की हार हो गई। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं पहला कारण यह बताया जा रहा है कि टेल्को के हजारों कर्मचारी परिवार उनसे नाखुश चल रहे थे क्योंकि जब वह टेल्को में अफसर थे तो उन्होंने कर्मचारियों के माता-पिता की मेडिकल सुविधा बंद कर दी थी इसके अलावा कर्मचारियों का ओवर टाइम भी बंद करा दिया था। इसके बाद हजारों टेल्को कर्मचारी और उनके परिवार वालों ने डॉक्टर अजय कुमार को वोट न देने की कसम खाई थी। इसके अलावा और कई कारण हैं। बताया जा रहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी ने सर्वे करने के बाद इंटक नेता और मजदूर राकेश्वर पांडे के अलावा कांग्रेस जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे का नाम आलाकमान को भेजा था। जिसमें राकेश्वर पांडे का नाम सर्वे में सबसे आगे था।
जानकार कांग्रेसियों का कहना है कि जमशेदपुर हमेशा से मजदूरों का शहर रहा है और यहां से मजदूर के नेता ही जीतते आ रहे हैं जैसे की रघुवर दास जो कि मजदूर थे और तकरीबन पांच बार विधायक रहे मुख्यमंत्री भी बने और अब राज्यपाल बन चुके हैं। जबकि राकेश्वर पांडे इंटक के अध्यक्ष भी हैं और शहर के कई यूनियनों के अध्यक्ष भी है ट्रेड यूनियन में भी उनकी तूती बोलती है विपक्षी खेमा भी उन्हें मजदूर नेता के रूप में मानता है। मजदूरों में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है वैसी स्थिति में जबकि झारखंड प्रदेश कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के सर्वे में भी उनका नाम सबसे ऊपर आया था उसके बावजूद टिकट नहीं मिला। कांग्रेस के अपने पैर पर अपने से कुल्हाड़ी मारने के समान है। इसके अलावा आनंद बिहारी दुबे की भी पकड़ अच्छी मानी जाती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो कांग्रेसी कहते हैं कि कांग्रेस के पिछड़़ने कारण हमेशा से ही रहा है। चापलूस और सेटिंग गेटिंग वालों लोग की चलती है और पार्टी के दुर्दशा हो रही है।
कांग्रेस के जिला महासचिव राजा ओझा ने आरोप लगाया कि आला कमान को डार्क में रखकर डॉक्टर अजय कुमार को टिकट दिया गया।