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गढ़वा: जिले में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि गढ़वा जिले के अधिकतर विभागों में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है, और इसमें सबसे बड़ा संरक्षण खुद उपायुक्त (डीसी) की ओर से मिल रहा है।

प्रेस वार्ता में विधायक तिवारी ने कहा कि हाल ही में आयोजित दिशा समिति की बैठक के दौरान उन्होंने मेराल प्रखंड में 2399 क्विंटल अनाज घोटाले पर जवाब मांगा, तो डीसी असहज हो गए और जिलापूर्ति पदाधिकारी (DSO) के पक्ष में बयान देने लगे। उन्होंने कहा कि जब कोई अधिकारी गरीबों का हक मारता है, तो जनता के प्रतिनिधि को सवाल करने का पूरा अधिकार है।

विधायक ने आरोप लगाया कि गरीब राशन कार्डधारियों को मिलने वाला 5 किलो राशन घटाकर 3 किलो दिया जा रहा है। 1300 डीलरों को निलंबन के बाद बिना स्पष्ट आधार के बहाल कर दिया गया, जो संदेहास्पद है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि बहाली में पारदर्शिता है तो उसकी जानकारी सार्वजनिक की जाए।

मनरेगा योजना में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विधायक ने कहा कि काम के एवज में 50% तक कमीशन लिया जा रहा है। भवन निर्माण विभाग में 8% कमीशन की खुली व्यवस्था है। चिनिया प्रखंड के बरवाडीह पंचायत में बिना काम के ही 150 कुओं के नाम पर फर्जी भुगतान किया गया है।

नगर परिषद को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए गए। उन्होंने कहा कि शहर की खाली जमीनों पर अवैध दुकानें बनवाकर पैसे की वसूली की जा रही है, जिसमें डीसी की संलिप्तता भी बताई जा रही है। रंका और रमकंडा रोड पर अवैध खनन और क्रशर संचालन को भी डीसी की शह बताया गया।

विधायक ने कहा कि उन्होंने इन सभी मामलों की शिकायत पीएमओ, गृह मंत्रालय, ईडी, सीबीआई और एसीबी से की है। उनका कहना है कि गढ़वा जिले में अब भ्रष्ट अधिकारियों के लिए कोई जगह नहीं बची है।

भूमि माफिया के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए उन्होंने कहा कि गरीबों की जमीन पर जबरन कब्जा कर बेचा जा रहा है, जिससे आम लोग परेशान हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनके कार्यकाल में ऐसे माफियाओं को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

उन्होंने सड़क निर्माण में भी अनियमितताओं की बात कही। फरठिया से नावाडीह तक बिना मुआवजा दिए लोगों की जमीन पर जबरन सड़क बनाई गई, जबकि गढ़वा-चिनिया रोड अधूरी पड़ी है। कई पुल बिना वन विभाग की मंजूरी के बनाए गए हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

बालू घाटों पर हो रही धांधली का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हर बार टेंडर कर उसे रद्द कर दिया जाता है ताकि बालू के कारोबार पर कुछ खास लोगों का नियंत्रण बना रहे। उन्होंने यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया था, जिसके बाद सरकार पुरानी नीति को बहाल करने पर विचार कर रही है।

विधायक ने दो टूक कहा कि जिले के अधिकारियों को ईमानदारी से जनता की सेवा करनी चाहिए। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी या तो सुधर जाएं या फिर गढ़वा छोड़ दें।