शुभम जायसवाल
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– देश के महान पूज्य संत श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कहा कि चित्त की उलटी चाल में मैं फँस गया था, मृगजल ने मुझे भी धोखा दिया था, पर भगवान् ने बड़ी कृपा की जो मेरी आँखें खोल दीं।तुमने मेरी गुहार सुनी, इससे मैं निर्भय हो गया हूँ। प्रभु अपने भक्त को दुःखी नहीं करते, अपने दास की चिन्ता अपने ही ऊपर उठा लेते हैं। सुख पूर्वक हरि का कीर्तन करो, हर्ष के साथ हरि के गुण गाओ। कलिकाल से मत डरो, कलिकाल का निवारण तो सुदर्शनचक्र आप ही कर लेगा। भगवान् अपने भक्तों को कभी छोड़ते ही नहीं। हरि का नाम ही बीज है और हरि का नाम ही फल है । यही सारा पुण्य और सारा धर्म है। सब कलाओं का यही सार मर्म है। निर्लज्ज नामसंङ् कीर्तन में सब रसोंका आनन्द एक साथ आता है।सब तीर्थों की मुकुट मणि यह हरिकथा है।
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