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Ranchi: लगातार बारिश से सब्जियों की कीमतें बेकाबू, रांची में महंगाई ने बिगाड़ा रसोई का बजट

On: July 16, 2025 3:33 PM
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किसानों की फसल बर्बाद, सब्जी बाजार में जेब ढीली कर रही महंगाई

झारखंड वार्ता

रांची। झारखंड में जारी लगातार बारिश ने जहां किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, वहीं आम लोगों की रसोई पर भी बड़ा असर डाला है। खेतों में पानी भर जाने से सब्जी की फसलें बर्बाद हो गई हैं और बाजार में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। हालत ये है कि 1000 रुपये खर्च करने पर भी झोला पूरा नहीं भर रहा।

खेत डूबे, फसलें सड़ीं – अब बिहार से आ रही सब्जियां

स्थानीय सब्जी विक्रेताओं के अनुसार, बीते एक महीने से हो रही बारिश ने खेती का समय ही नहीं दिया। खेतों में लगी बंधा गोभी, फूल गोभी, मिर्ची आदि की फसलें पानी में गल गईं। अब अधिकांश सब्जियां बिहार से मंगाई जा रही हैं, जिससे ट्रांसपोर्ट और कमी के चलते दाम दोगुने हो गए हैं।

ये हैं मौजूदा बाजार भाव

रांची के बाजार में सब्जियों के ताजा दाम कुछ इस प्रकार हैं:

फरसबीन – ₹160/किलो

शिमला मिर्च – ₹120/किलो

फूलगोभी – ₹100/किलो

बंधा गोभी – ₹60/किलो

हरी मिर्च – ₹120/किलो

अदरक – ₹80/किलो

बास – ₹120/किलो

खेखसा, संधना – ₹100–120/किलो

बैंगन – ₹60, भिंडी – ₹40, नेनुआ – ₹50, झिंगी – ₹50

टमाटर – ₹40, खीरा – ₹30, गाजर – ₹40, कद्दू – ₹30

मूली और प्याज – ₹20/किलो

धनिया पत्ता – ₹30 प्रति 100 ग्राम


ग्राहक बोले – “जेब काट रही है सब्जी!

एक स्थानीय ग्राहक  ने बताया, “अब तो 500 रुपये में दो दिन की सब्जी भी नहीं आती। गिने-चुने सब्जियां खरीदनी पड़ रही हैं। मिर्च और धनिया जैसे साधारण चीजें भी अब ‘लक्जरी’ लगने लगी हैं।”

रांची की रहने वाली गृहणी खुशबू जायसवाल ने कहा कि अब तो सब्जी खरीदना भी सोच समझकर करना पड़ रहा है। पहले जहां 1000 रुपये में 4–5 दिन का काम चल जाता था, अब उतने में दो दिन की सब्जी मुश्किल से आती है। मिर्च और धनिया जैसी छोटी चीजें भी महंगी हो गई हैं। हर बार सब्जी वाले से मोलभाव करना पड़ता है। जेब का हिसाब बिगड़ गया है।

लक्ष्मी कुमारी ने कहा कि मैं हर सुबह बजट लेकर बाजार जाती हूं, लेकिन अब लगता है कि बिना कोई चीज लिए ही वापस आ जाऊं। फूलगोभी 100 रुपये किलो बिक रही है, धनिया पत्ता 30 रुपये सिर्फ 100 ग्राम! ऐसा तो कभी नहीं देखा। इतनी महंगाई में अब तो घर चलाना किसी जंग से कम नहीं लग रहा। बारिश से खेती भी बर्बाद हो गई है, ऊपर से महंगाई ने रसोई को जला कर रख दिया है।

Shubham Jaiswal

“मैं शुभम जायसवाल, बीते आठ वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने विभिन्न प्रतिष्ठित अखबारों और समाचार चैनलों में प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले पाँच वर्षों से मैं साप्ताहिक अखबार ‘झारखंड वार्ता’ से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ। पत्रकारिता मेरे लिए केवल पेशा नहीं बल्कि समाज और जनता के प्रति एक जिम्मेदारी है, जहाँ मेरी कलम हमेशा सच और न्याय के पक्ष में चलती है।

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