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लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। यह कार्रवाई उस वक्त की गई जब पूजा पाल ने विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ में एक बयान दे दिया।गुरुवार को विधानसभा सत्र में बोलते हुए पूजा पाल ने अपने पति की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे पति के हत्यारों को सजा देकर सीएम योगी ने मुझे न्याय दिलाया है। इस बयान को सपा के भीतर अनुचित और पार्टी की नीतियों के विपरीत माना गया। इसके तुरंत बाद सपा मुख्यालय ने पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित करने का आदेश जारी कर दिया।

सपा के वरिष्ठ नेताओं ने इस कदम को पार्टी अनुशासन बनाए रखने के लिए जरूरी बताया। एक नेता ने कहा, “हमारी पार्टी की नीतियां स्पष्ट हैं। किसी भी सदस्य को विपक्षी सरकार की तारीफ करने की स्वतंत्रता नहीं है, खासकर जब यह बयान पार्टी की विचारधारा के खिलाफ हो।”

गुरुवार को अखिलेश यादव के हस्ताक्षर से ही जारी निष्कासन वाले पत्र में पूजा पाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। पूजा पाल को संबोधित पत्र में लिखा है कि आप पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हुईं। इसे लेकर आपको सचेत किया गया। इसके बाद भी गतिविधियां बंद नहीं हुईं। इसके कारण पार्टी को काफी नुकसान हुआ है। आपके द्वारा किया गया कार्य पार्टी विरोधी और गंभीर अनुशासनहीनता है। अतः आपको समाजवादी पार्टी से तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया जाता है। इसके साथ ही आपको समाजवादी पार्टी के सभी पदों से भी हटाया जाता है। यह भी लिखा है कि आप पार्टी के किसी कार्यक्रम या बैठक आदि में भाग नहीं लेंगी और न ही आपको बुलाया जाएगा।हालांकि पूजा पाल राज्यसभा चुनाव के बाद से ही सपा से अलग-थलग चल रही थीं। राज्यसभा चुनाव में पूजा पाल समेत ने आठ विधायकों ने सपा से बगावत कर भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। इन आठ में से चार विधायकों को पिछले ही दिनों सपा ने पार्टी से निकाला था। अब पूजा पाल को ऐसे समय निकाला गया है जब उन्होंने खुलेआम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है।


विधायक पूजा पाल की बर्खास्तगी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पूजा पाल भविष्य में किसी अन्य राजनीतिक मंच से सक्रिय होंगी या नहीं।

पूजा पाल की राजनीतिक यात्रा और पति की हत्या का विवादित इतिहास

पूजा पाल की राजनीतिक और व्यक्तिगत जिंदगी में घटनाओं का लंबा और विवादित इतिहास रहा है। उनके पति, राजू पाल, 2005 में ताबड़तोड़ फायरिंग में मारे गए थे। उस समय इस हत्या का आरोप अतीक अहमद के भाई अशरफ पर लगाया गया था। सियासी पृष्ठभूमि भी इस घटना में अहम थी। इलाहाबाद की पश्चिमी सीट से अतीक अहमद लगातार विधायक चुने जाते रहे। 2004 में उन्हें सांसद बनाया गया, जिससे उनकी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना पड़ा। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अतीक के छोटे भाई अशरफ को उम्मीदवार बनाया, जबकि राजू पाल ने बसपा से चुनाव लड़कर जीत हासिल की और विधायक बने। बताया जाता है कि अशरफ अपनी हार स्वीकार नहीं कर पाए और कुछ ही दिनों बाद राजू पाल को उनके कार्यालय के बाहर घेरकर गोली मार दी गई। इस हत्या ने राजनीतिक माहौल को काफी गर्म कर दिया। हालांकि परिस्थितियां जल्दी बदल गईं। पूजा पाल ने बाद में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और 2022 के चुनाव में सपा के टिकट पर कौशांबी की चायल सीट से विधायक चुनी गईं। उनके राजनीतिक सफर ने निजी संघर्ष और सियासी बदलावों का एक ज्वलंत उदाहरण पेश किया है।