देवरिया। उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले के भलुअनी के रहने वाला मिश्रा परिवार आज सदमे में है। परिवार के मुखिया मुरलीधर मिश्रा अपने बेटे आयुष मिश्रा के इंटरनल अंकों की शिकायत लेकर दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय पहुंचे थे। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन से मिले नकारात्मक जवाब ने उन्हें इतना झकझोर दिया कि वहीं बैठते-बैठते उनका दिल थम गया।
छात्र की मेहनत पर पानी
आयुष मिश्रा, जो कि एमएससी गणित के चौथे सेमेस्टर के छात्र हैं, ने अब तक अपनी पढ़ाई में शानदार प्रदर्शन किया था।
पहला सेमेस्टर – 78%
दूसरा सेमेस्टर – 80%
तीसरा सेमेस्टर – 85%
लेकिन चौथे सेमेस्टर में उनके साथ ऐसा हुआ जिसने पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया।
क्लासिकल मैकेनिक्स (75 अंक का पेपर) – 34 अंक
इंटरनल (25 अंक) – केवल 1 अंक
कुल अंक 35 भी नहीं हो सके और वे फेल घोषित कर दिए गए।
परिवार का आरोप – जानबूझकर कम दिए गए अंक
परिवार और ग्रामीणों का कहना है कि आयुष की मेहनत और पढ़ाई के बावजूद उन्हें जानबूझकर कम अंक दिए गए। विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार – 25 अंकों में से 5 अंक अटेंडेंस के होते हैं, जिनमें कम से कम 3 अंक मिलना अनिवार्य है।
सेमेस्टर के दौरान लिए गए तीन टेस्ट में से बेहतर दो के आधार पर अंक दिए जाते हैं। इसके बावजूद आयुष को केवल एक अंक देना कई सवाल खड़े करता है।
न्याय की तलाश और दुखद अंत
17 जुलाई को आयुष ने विभागाध्यक्ष को लिखित शिकायत दी। 27 अगस्त को रिश्तेदार कुलपति से मिले, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी कुलपति को पत्र लिखा।
अंततः, 1 सितंबर को आयुष और उनके पिता विश्वविद्यालय पहुंचे। पिता का उद्देश्य बस इतना था कि बेटे को सही अंक दिए जाएं। लेकिन प्रशासन से साफ इनकार मिलने पर मुरलीधर मिश्रा सदमे में आकर गिर पड़े। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
लोगों का गुस्सा और सवाल
इस घटना ने छात्रों और स्थानीय लोगों को झकझोर दिया है। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं –
क्या एक छात्र की मेहनत को इस तरह रौंदा जा सकता है?
क्या विश्वविद्यालय प्रशासन इतना कठोर और असंवेदनशील हो चुका है?
क्या जिम्मेदार प्रोफेसरों और अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी?
पोस्टमार्टम के बिना शव सौंपने का आरोप
परिवार का आरोप है कि बिना पोस्टमार्टम के ही शव सौंप दिया गया। इससे प्रशासन की भूमिका और अधिक संदेह के घेरे में है।
शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिह्न है। एक अंक ने न केवल छात्र का भविष्य छीन लिया, बल्कि उसके पिता की जान भी ले ली।
MSc गणित के छात्र को परीक्षा में मिला 1 नंबर, सदमे में पिता की मौत

