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कुड़मियों के आंदोलन के खिलाफ आदिवासी संगठनों की चेतावनी

On: September 17, 2025 3:17 PM
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चाईबासा:एक ओर कुड़मी समाज अपने को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग के चलते आंदोलन की घोषणा की। चाईबासा ज़िले में 20 सितंबर को कुड़मी समाज प्रस्तावित रेल टेका आंदोलन की तैयारी में है। वहीं दूसरी तरफ आदिवासी संगठनों में उनके इस मांग से भारी आक्रोश व्याप्त है। जिसका विरोध अब जनजातीय समुदायों ने खुलकर करना शुरू कर दिया है।

बुधवार को चाईबासा में कोल्हान आदिवासी एकता मंच के बैनर तले एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन में हो समाज, मानकी मुंडा संघ, उरांव समाज, मुंडा समाज सहित अनेक जनजातीय संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में आंदोलन के संभावित सामाजिक प्रभावों पर चर्चा हुई और कुड़मी समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल किए जाने के विरोध में सामूहिक रणनीति तय की गई।

आर्थिक नाकाबंदी की चेतावनी
बैठक में शामिल आदिवासी संगठनों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया, तो कोल्हान क्षेत्र में आर्थिक नाकाबंदी की जाएगी। संगठनों का कहना है कि इस माँग से न केवल आदिवासी अस्मिता को खतरा है, बल्कि इससे सरकारी संसाधनों पर अनावश्यक दबाव भी पड़ेगा।

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर नाराज़गी
बैठक के दौरान मौजूद प्रतिनिधियों ने इस संवेदनशील मुद्दे पर स्थानीय सांसदों और विधायकों की चुप्पी पर भी गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब क्षेत्र की जनजातीय पहचान को लेकर संघर्ष हो रहा है, तब जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता दुर्भाग्यपूर्ण है।

मानकी मुंडा संघ के अध्यक्ष गणेश पाट पिंगुवा, आदिवासी संगठन के प्रतिनिधि सुरेश सोय, और बिहार विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ चांपिया ने बैठक में भाग लेते हुए आंदोलन के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाए जाने की बात कही।

आगे की रणनीति पर विचार जारी
फिलहाल, आदिवासी संगठन यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे कुड़मी समाज की एसटी में शामिल करने की किसी भी कोशिश का पुरज़ोर विरोध करेंगे। आने वाले दिनों में और भी संगठनों को इस अभियान से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है, ताकि कोल्हान क्षेत्र में आदिवासी पहचान और हक़ को सुरक्षित रखा जा सके।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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