रांची: 20 सितंबर 2025 को पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आदिवासी बचाओ मोर्चा सहित विभिन्न आदिवासी संगठनों ने रांची के मोराबादी मैदान से अल्बर्ट एक्का चौक तक विरोध मार्च निकाला। यह मार्च कुर्मी-कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की मांग के विरोध में आयोजित किया गया।
इस मौके पर केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष श्री बबलू मुंडा के नेतृत्व में सैकड़ों लोग शामिल हुए और आदिवासी एकता का परिचय दिया।
मुख्य पहान श्री जगलाल पहान ने कहा कि आदिवासी समाज में जन्म लेना पड़ता है, कोई आदिवासी बन नहीं सकता। उन्होंने बताया कि आदिवासी जीवन की सभी रस्में—जन्म से मृत्यु तक—पहान द्वारा कराई जाती हैं, जबकि कुर्मी-कुड़मी समाज अपने धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम पंडितों एवं ब्राह्मणों से कराते हैं। इसलिए उन्हें आदिवासी नहीं माना जा सकता।
श्री बबलू मुंडा ने कहा कि कुर्मी और कुड़मी समाज झारखंड में आरक्षण और राजनीतिक लाभ लेने के लिए आदिवासी बनने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि “रेल टेका-डहर छेका” जैसे कार्यक्रमों पर राज्य और केंद्र सरकार मौन क्यों है? उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी हाल में कुर्मी-कुड़मी को आदिवासी समुदाय में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। अगर आदिवासी समाज से छेड़छाड़ हुई तो भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव, वीर बुधु भगत, तेलंगा खड़िया जैसे वीर शहीदों की तर्ज पर उलगुलान होगा।
इस विरोध मार्च में मुख्य रूप से श्री बबलू मुंडा, मुख्य पहान जगलाल पहान, शिवधन मुंडा, रांजन मुंडा, राजेश पहान, अमर मुंडा, मुन्ना हेमरोम, मुकेश मुंडा, आशीष मुंडा, जागेश्वर मुंडा, दरिद्र पहान, मनीष उरांव, लाल महली, अंजन मुंडा, विशाल मंडा, रोहित मुंडा, पीयूष मुंडा, महादेव मुंडा, नरेश मुंडा, अंजू मुंडा, देवंती मुंडा, अंकित मुंडा, विशाखा मुंडा, आकृति मुंडा, रोशनी मुंडा, गुनगुन मुंडा, आनंद मुंडा, कुलदीप पहान, राजू लिंडा, अविनाश कुमार, सोमा उरांव और आनंद पहान सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
रांची: कुड़मी आंदोलन के खिलाफ आदिवासी समुदाय का सड़क पर विरोध-प्रदर्शन

