पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक सर गर्मी पूरी तेज हो गई है। एक ओर एनडीए की दिल्ली में चुनावी रणनीति के तहत सीट बंटवारे को लेकर दिल्ली में मंथन होने वाली है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी बिहार में एक बार अपनी फिर से शक्ति प्रदर्शन कथित रूप से कर रही है पिछले दिनों राहुल गांधी के बिहार में कार्यक्रमों के बाद अब 50 साल बाद पटना में फिर से सदाकत आश्रम में एक बार कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक शुरू है इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भाग ले रहे हैं। जिसमें मुख्य रूप से कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री सोनिया गांधी प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि इसी के बहाने कांग्रेस बिहार में शक्ति प्रदर्शन भी करने जा रही हैं।
बता दें कि इसके पूर्व 1940 में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक पटना में हुई थी अब 85 साल बाद आजादी के बाद पहली बार यहां कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक हो रही है, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेता शिरकत कर रहे हैं। सुबह 10 बजे शुरू हुई यह बैठक शाम 4 बजे तक चलेगी।
इस ऐतिहासिक बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी समेत पार्टी की पूरी टॉप लीडरशिप मौजूद है। बैठक से पहले राहुल गांधी दिल्ली से पटना के लिए रवाना हुए, जहां प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने उनका स्वागत किया। पटना एयरपोर्ट और शहर के विभिन्न हिस्सों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह नजर आया।
बैठक में शामिल होने के लिए मंगलवार रात तक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, महासचिव केसी वेणुगोपाल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, सचिन पायलट, रणदीप सुरजेवाला, भूपेश बघेल, जीतू पटवारी और हरीश चौधरी पटना पहुंच चुके थे।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों का बिगुल है। कांग्रेस यहां तेलंगाना मॉडल दोहराना चाहती है जहां CWC बैठक के बाद पार्टी को सत्ता में वापसी मिली थी। अब बिहार में भी कांग्रेस खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित करने की कोशिश में जुटी है।
इस बीच, रेवंत रेड्डी की मौजूदगी भी चर्चा का विषय बनी हुई है। उन्होंने 2023 में बिहारियों को लेकर विवादास्पद बयान दिया था, जिससे काफी बवाल हुआ था। ऐसे में उनकी इस बैठक में मौजूदगी पर खास नजर रखी जा रही है।
पटना में कांग्रेस की यह बैठक केवल संगठनात्मक चर्चा भर नहीं है, बल्कि इसे पार्टी की भविष्य की रणनीति और क्षेत्रीय राजनीति में नए समीकरणों की शुरुआत के रूप में भी देखा जा रहा है। कांग्रेस के लिए यह मौका है खुद को एक बार फिर राज्य की राजनीति में प्रासंगिक साबित करने का।