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बरेली हिंसा मामला: एक और बड़ा एक्शन, मौलाना तौकीर रजा का ऑफिस समेत 74 दुकानें सीज, बुलडोजर कार्रवाई संभव!

On: September 30, 2025 6:55 AM
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उत्तर प्रदेश: बरेली हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिए गए सख्त अभियानों के बाद एक और बड़ा एक्शन प्रशासन और पुलिस के द्वारा लिए जाने की खबर आ रही है। खबर है कि हिंसा मामले में गिरफ्तार आरोपी मौलाना तौकीर रजा के बरेली ऑफिस समेत 74 दुकानों को प्रशासन और पुलिस ने सीज कर दिया है। संभावना व्यक्ति की जा रही है कि इन पर बुलडोजर एक्शन भी हो सकता है। इस खबर से दंगाइयों में हड़कंप मच गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स केमुताबिक मुसलमानों के हित का ढोंग करने वाला मौलाना तौकीर रजा मजार की आड़ में 74 दुकानें बनवाकर किराया खा रहा था। नगर निगम ने सोमवार को इन दुकानों और तौकीर के संगठन इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल (आइएमसी) का कार्यालय सील कर दिया। दूसरी ओर बरेली विकास प्राधिकरण की टीम ने उसके करीबियों की छह संपत्तियां चिह्नित कर लीं जिनका निर्माण मानक के अनुरूप नहीं किया गया।
दूसरी ओर बरेली विकास प्राधिकरण की टीम ने उसके करीबियों की छह संपत्तियां चिह्नित कर लीं, जिनका निर्माण मानक के अनुरूप नहीं किया गया। दिनभर अलग विभागों की कार्रवाई के बीच पुलिस ने आइएमसी के पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम समेत उपद्रव के 28 अन्य आरोपितों को जेल भेज दिया। सतर्कता के दृष्टिगत प्रशासन ने इंटरनेट बंदी 24 घंटे के लिए बढ़ा दी है। अब 30 सितंबर की रात 12.30 बजे बाद इंटरनेट सेवा सुचारू होगी।
आइएमसी अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने कानपुर के ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद के बहाने शुक्रवार को बरेली में उपद्रव कराया था। उसके उकसावे पर आई भीड़ ने पथराव, फायरिंग की, जिसमें 22 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। अब तक मौलाना तौकीर समेत 61 आरोपितों को जेल व छह को थाने से जमानत मिल चुकी है। अब प्रशासन तौकीर व उसके गुर्गों की संपत्तियों की जांच करा रहा है।

अधिकारियों के अनुसार, 1992 में नॉवल्टी चौराहा (मुख्य बाजार) पर पहलवान साहब की मजार की देखरेख करने वाले व्यक्ति को तौकीर के लोगों ने साजिशन हटाकर अपना करीबी बैठा दिया। इसके बाद मजार की आड़ में दुकानें बनवाई जाने लगीं, जोकि अब तीन मंजिल बाजार के स्वरूप में हैं। तौकीर पर्दे के पीछे रहता, जबकि उसका करीबी नफीस दुकानों से किराया वसूलकर उसे पहुंचाता था। कुछ दुकानों की बिना कागज बिक्री भी कर दी गई थी। 1995 में नगर निगम ने नोटिस जारी किया कि उसकी भूमि पर अवैध दुकानें व मजार बनी है।
दुकानदारों को चेतावनी दी गई कि कब्जा नहीं हटाया तो ध्वस्त कर दिया जाएगा, मगर कोई फर्क नहीं पड़ा। 2018 नोटिसों के विरुद्ध दुकानदार हाईकोर्ट गए, मगर वहां से आदेश हुआ कि मजार को छोड़ शेष निर्माण पर नगर निगम अपने स्तर से निस्तारण करे। इसके बाद से अधिकारियों की इच्छाशक्ति की कमी से कब्जे नहीं हटाए जा चुके, नगर निगम 60 नोटिस जारी करने तक सीमित रह गया। अब उपद्रव के बाद शासन ने सख्ती की, तब प्रशासन ने तौकीर व उसके मददगारों, गुर्गों पर सख्ती शुरू की।
सोमवार दोपहर 12 बजे नगर निगम की टीम ने दुकानदारों से कहा कि तीन घंटे के अंदर सामान हटा लें। इसके बाद दोपहर तीन बजे भारी फोर्स की मौजूदगी में 74 दुकानों पर सील लगाकर नगर निगम ने अपना कब्जा ले लिया। इसी बाजार में तौकीर के करीबी आइएमसी प्रवक्ता नफीस ने कार्यालय भी बना लिया था। उसका ताला तोड़ने पर कुछ कागज बरामद हुए, कुछ जलाए जा चुके थे। दो बड़े जनरेटर भी बरामद किए गए। शाम छह बजे टीम कार्रवाई कर लौट गई।

ध्वस्तीकरण की तैयारी में प्राधिकरण

बरेली विकास प्राधिकरण की टीम दोपहर को फाइक इन्क्लेव पहुंची। मौलाना तौकीर पुलिस से बचकर गुरुवार रात से शनिवार तड़के तक इसी कालोनी में आइएमसी के पूर्व जिलाध्यक्ष फरहत के घर रुका था। प्राधिकरण ने फरहत, साजिद व रेहान के मकानों का चिह्नीकरण किया। आशंका जताई जा रही कि तीनों भवन मानचित्र के विपरीत बने हैं। इसकी पुष्टि होने पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा सकती है। इसी तरह नफीस के ब्लू मून होटल, रजा पैलेस समेत तीन भवनों का चिह्नीकरण किया गया।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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